हाल ही में रूस ने भारत को सतह से हवा में मार करने वाली S-400 ट्रायम्फ़ मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति शुरू कर दी है।
S-400 विश्व की सबसे उन्नत वायु-रक्षा प्रणालियों में से एक है। यह चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है। यह 400 किमी, 250 किमी, मध्यम दूरी की 120 किमी और कम दूरी के 40 किमी तक शत्रु के विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और एयरबोर्न वार्निंगएंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) विमानों को मार सकती है।
यह 9-10 सेकंड के प्रतिक्रिया समय के साथ एक बार में 80 लक्ष्यों को भेदने की क्षमता से युक्त है।
भारत के लिए S-400 समझौते का महत्व (S-400 ट्रायम्फ़ मिसाइल)
- यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से नए खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
- यह भारतीय वायुसेना की घटती लड़ाकू स्क्वाड्रन क्षमता के कारण वायु रक्षा क्षमता में मौजूद अंतराल को भी दूर करेगा।
- हालांकि, S-400 समझौता अमेरिका के काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थू सेंक्शंस एक्ट(CAATSA) के तहत प्रतिबंधों की चेतावनी के कारण विवादास्पद हो गया है।
- CAATSA को वर्ष 2017 में पारित किया गया था। यह सुनिश्चित करता है कि यदि कोई भी देश ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ सैन्य संपर्क बढ़ाता है, तो उसे अमेरिका से निवारक दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
- लागू किए गए प्रतिबंध एकतरफा हैं, और संयुक्त राष्ट्र के किसी भी निर्णय का हिस्सा नहीं हैं।
- अमेरिका पहले ही S-400 की खरीद के लिए चीन और तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है। हालांकि, भारत इस प्रकार की प्रतिबंधात्मक चेतावनियों से प्रभावित नहीं हुआ है।
स्रोत – द हिन्दू