रूसी – यूक्रेन युद्ध
कुछ समय से रूसी सेना ने यूक्रेन पर अपना अपेक्षित हमला शुरू कर दिया है ।
रूसी राष्ट्रपति ने अमेरिका और उसके सहयोगियों पर रूस की मांग की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। रूस ने यूक्रेन को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो/NATO) में शामिल होने से रोकने और सुरक्षा गारंटी स्वीकार करने की मांग की थी।
रूसी हमले के कारण
- रूस ने पश्चिमी देशों से कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धता की मांग की थी। रूस ने यह मांग की थी कि नाटो पूर्वी यूरोप अर्थात रूस की सीमा तक अपनी सदस्यता का विस्तार नहीं करेगा।
- नृजातीय विभाजनः पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में रूसी समर्थक अलगाववादियों का वर्चस्व है।
- यूक्रेन के पश्चिमी देशों की ओर झुकाव को रूस की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए एक बड़े आघात के रूप में देखा जा रहा है।
- रूस से यूरोपीय संघ को होने वाली गैस-आपूर्ति का एक तिहाई हिस्सा यूक्रेन से होकर जाता है ।
रूसी हमले का प्रभाव
सामान्य प्रभावः
- यूरोप में सुरक्षा संकट पैदा होगा और युद्ध के प्रतिकूल मानवीय प्रभाव भी सामने आएंगे।
- आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो सकती हैं।
- वैश्विक गेहूं निर्यात में रूस शीर्ष पर है, जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। इस प्रकार इस हमले से विश्व में खाद्य कीमतों में अस्थिरता पैदा होगी।
भारत पर प्रभावः
- कच्चे तेल की कीमतों में 10% की वृद्धि होगी। इससे भारत का चालू खाता घाटा $15 बिलियन तक बढ़ जाएगा।
- खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि होगी, क्योंकि भारत के सूरजमुखी तेल थायात में 70% हिस्सा अकेले यूक्रेन का है।
- रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। इस प्रकार रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों का प्रभाव भारत के रक्षा आयात पर पड़ेगा।
स्रोत –द हिन्दू