भारतीय विश्वविद्यालयों के विदेशी परिसरों की स्थापना के लिए रोडमैप तैयार
हाल ही में भारतीय विश्वविद्यालयों के विदेशी परिसरों की स्थापना के लिए रोडमैप तैयार करने हेतु केंद्रीय समिति गठित की गई है।
डॉ.के.राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। इस समिति को ‘उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEIs)’ द्वारा विदेशों में परिसर खोलने के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया है।
यह कदम आई.आई.टी. दिल्ली द्वारा सऊदी अरब और मिस्र में अपने केंद्र खोलने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद उठाया गया है।
इससे पहले, केंद्र सरकार ने उत्कृष्ट संस्थानों (Institutions of Eminence: IOE) को विदेशी परिसर खोलने की अनुमति देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय से पूर्व अनुमोदन और विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में भी शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण का प्रस्ताव किया गया है। यह विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में संचालन की अनुमति प्रदान करती है। इसी तरह, यह सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को भी अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
भारतीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEls) के अन्य देशों में परिसरों की स्थापना से लाभ:
- भारतीय उच्चतर शिक्षा संस्थानों की वैश्विक उपस्थिति में वृद्धि होगी।
- अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- भारत में अपना परिसर स्थापित करने वाले विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थानों से लाभ:
- भारतीय छात्र घरेलू माहौल में सहजता से समकालीन और विश्व स्तरीय मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर सकेंगे।
- कम खर्च पर विश्व स्तरीय पाठ्यक्रमों और शिक्षण कला तक अधिक छात्रों की पहुँच हो सकेगी।
- भारतीय अध्यापन समुदाय के शैक्षणिक कौशल में वृद्धि होगी।
- सकल नामांकन अनुपात को 50 प्रतिशत तक सुधारने में मदद मिलेगी।
स्रोत –द हिन्दू