राजस्थान में ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ की पहल

राजस्थान में ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ की पहल

  • हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने आगामी वित्तीय वर्ष में 3,500 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की घोषणा की, जो राज्य में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने के उपायों के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने हेतु है कि स्वास्थ्य सेवा अपने नागरिकों के लिए अधिक सुलभ हो।
  • मुख्यमंत्री ने इसके साथ यह भी घोषणा कि की , राजस्थान मॉडल ऑफ पब्लिक हेल्थ को भी लागू किया जायेगा, जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार शामिल होगा और साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा लागू की गई निवारक, प्राथमिक और उपचारात्मक देखभाल के उपाय भी शामिल होंगे।

सार्वजनिक स्वास्थ्य का राजस्थान मॉडल:

मुख्य बिंदु:

  • “राजस्थान मॉडल ऑफ पब्लिक हेल्थ” की घोषणा 2021-22 के राजस्थान के बजट के दौरान की गई थी। इस मॉडल के तहत, राज्य सरकार मरीजों केअधिकारों पर जोर देने के साथ “स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक” भी लाएगी। राज्य इस मॉडल के तहत निवारक देखभाल के उपाय, प्राथमिक देखभाल के उपाय और उपचारात्मक देखभाल उपाय करेगा।
  • ये उपाय विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिशों के अनुसार किए जाएंगे। इस यूनिवर्सलहेल्थकवरेजप्लान के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर दिया जायेगा ।
  • यह ‘आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना (AB-MGRSBY)’ के लाभार्थी को भी सम्मिलित करेगा।
  • साथ ही, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थमैनेजमेंटरिसर्च (IIHMR) ने मरीजों के अधिकारों के साथ-साथ सेवा प्रदाताओं के साथ मेल करने के लिए राज्य में उपलब्ध संसाधनों के अनुसार मानकों की स्थापना की सिफारिश की है।

भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक:

  • आईपीएचएस देश में स्वास्थ्य देखभाल वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए परिकल्पित समान मानकों का एक समूह है।
  • आईपीएचएस दस्तावेजों को मौजूदा कार्यक्रमों के बदलते प्रोटोकॉल और विशेष रूप से गैर-संचारी रोगों के लिए नए कार्यक्रमों की शुरूआत को ध्यान में रखते हुए संशोधित किया गया है।
  • इसका लचीलापन राज्यों और क्षेत्रों की विविध आवश्यकताओं के अनुरूप है।
  • IPHS दिशानिर्देश गुणवत्ता में निरंतर सुधार के लिए मुख्य चालक के रूप में कार्य करता हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं की कार्यात्मक स्थिति का आकलन करने के लिए बेंचमार्क के रूप में कार्य करते हैं।
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को मजबूत बनाने हेतु इन IPHS दिशानिर्देशों को अपनाया।

स्वास्थ्य का अधिकार:

  • अन्य अधिकारों की भांतिस्वास्थ्य के अधिकार में स्वतंत्रता और उच्चतम प्राप्य स्तर का आनंद लेने का समान अवसर प्रदान करना शामिल है।

भारत में स्वास्थ्य के अधिकार से संबंधित प्रावधान:

  • मौलिक अधिकार: भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। स्वास्थ्य का अधिकार गरिमा के साथ जीवन में निहित है।
  • राज्य की नीति के निर्देशक सिद्धांत: अनुच्छेद- 38, 39, 42, 43, तथा 47 स्वास्थ्य के प्रभावी अधिकार को सुनिश्चित करने का राज्य का कर्तव्य हैं।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा पत्र (1948) के अनुच्छेद-25 का हस्ताक्षरकर्ता है जो भोजन, कपड़े, आवास सहित मनुष्यों को स्वास्थ्य एवम कल्याण हेतु पर्याप्त जीवन स्तर, चिकित्सा देखभाल और आवश्यक सामाजिक सेवा सम्बन्धी अधिकार देता है।
  • लोकतांत्रिक समाजवाद की अवधारणा का उद्देश्य लोगों की स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति में सुधार करना है। संविधान के भाग III और भाग IV के विभिन्न प्रावधानों में समाजवाद के सिद्धांत को भी शामिल किया गया है।
  • संविधान के तहत स्वास्थ्य या स्वास्थ्य सेवा के अधिकार की कोई स्पष्ट मान्यता नहीं मिलने के कारण, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने “बंधुआ मुक्ति मोर्चा बनाम भारत संघ और अदर्स” मामलेमें अनुच्छेद-21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार की व्याख्या की, जो जीवन के अधिकार की गारंटी देता है।
  • पंजाब एंड अदर्स. बनाम मोहिंदर सिंह चावला वाद में शीर्ष अदालत ने पुन: पुष्टि किया कि, स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार हेतु मौलिक है और यह रिकॉर्ड किया जाना चाहिए कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का संवैधानिक दायित्व है । पंजाब एंड अदर्स. बनाम राम लुभाया बग्गा में, अदालत ने स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए राज्य की जिम्मेदारी का समर्थन किया।

स्रोत: द हिंदू

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