मनरेगा की मजदूरी दरों में संशोधन
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा की मजदूरी दरों में संशोधन किया गया ।
वित्त वर्ष 2022-23 हेतु मनरेगा के लिए मजदूरी दरें 1 अप्रैल से लागू होंगी। ये दरें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की धारा 6 के तहत तय की जाती हैं।
मनरेगा के लिए मजदूरी दरों को कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – Agriculture Labour: CPI-AL) में बदलाव के अनुसार संशोधित किया गया है। CPI-AL, ग्रामीण मुद्रास्फीति में वृद्धि को दर्शाता है।
मनरेगा मजदूरी में हालिया वृद्धि पर एक नज़रः
- कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मनरेगा मजदूरी को 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 4 रुपये से 21 रुपये प्रति घंटे तक बढ़ा दिया गया है।
- तीन राज्यों में मनरेगा मजदूरी दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन राज्यों में शामिल हैं- मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा।
मनरेगा के बारे में: – यह एक वित्तीय वर्ष में 100 कार्य दिवसों हेतु रोजगार की गारंटी देता है। इसके तहत अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को रोजगार दिया जाता है। साथ ही, सूखा/प्राकृतिक आपदा के रूप में अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य दिवसों को बढ़ाकर 150 दिन किया जा सकता है।
मनरेगा का महत्वः
- इसके तहत टिकाऊ संपत्तियों का निर्माण किया जाता है,
- जल सुरक्षा को बेहतर बनाया जाता है, मृदा संरक्षण और जमीन से बेहतर उपज पर विशेष जोर दिया जाता है।
- इस प्रकार, यह योजना गरीबों को आजीविका की सुरक्षा प्रदान करती है।
- मनरेगा मजदूरी से घरेलू आय में वृद्धि होती है, जिससे परिवारों के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह ग्रामीण भारत में समावेशी विकास के लिए एक प्रभावशाली साधन है। यह ग्रामीण भारत में सामाजिक सुरक्षा, आजीविका की सुरक्षा और लोकतांत्रिक सशक्तीकरण सुनिश्चित करता है।
स्रोत – द हिंदू