भारत की प्राचीन कलाकृतियों की वापसी
हाल ही में भारत ने स्कॉटलैंड संग्रहालयों से भारत की प्राचीन कलाकृतियों को वापस करने का अनुरोध किया है, क्योंकि चोरी की गयी ये प्राचीन कलाकृतियां भारत की ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा हैं।
वर्ष 2013 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने स्मारकों और पुरावशेषों के रखरखाव और संरक्षण पर एक रिपोर्ट जारी की थी।
इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1981 से वर्ष 2012 तक अलग-अलग स्मारकों/ स्थलों से 131 पुरावशेषों और स्थल संग्रहालयों से 37 पुरावशेषों की चोरी की गई थी।
हालांकि, वर्ष 1976 से 2001 तक केवल 19 पुरावशेषों की ही पुनर्प्राप्ति हुई थी। वर्ष 2001 के बाद से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को इसमें कोई सफलता हासिल नहीं हुई है।
भारतीय पुरावशेषों के लिए कानूनी ढांचा
प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958, पुरातन सहित प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण से संबंधित है।
- पुरावशेष और बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972: इसके तहत ASI चोरी या अवैध रूप से निर्यात की गई कलाकृतियों को फिर से प्राप्त करने का कार्य करता है। इसके लिए वह पुरावशेषों और बहुमूल्य कलाकृतियों के निर्यात व्यापार को विनियमित करता है।
- राष्ट्रीय स्मारक और पुरावशेष मिशनः इसने असंरक्षित कलाकृतियों पर एक राष्ट्रीय रजिस्टर का निर्माण किया है।
- राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशनः यह विरासतों का दस्तावेजीकरण करता है।
- इसके अलावा, भारत ‘सांस्कृतिक संपदा के स्वामित्व के अवैध आयात, निर्यात और हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने एवं रोकने के साधनों पर यूनेस्को अभिसमय’ (यूनेस्को कन्वेंशन, 1970) का एक हस्ताक्षरकर्ता है।
- हालांकि, भारत ने चोरी या अवैध रूप से निर्यात की गई सांस्कृतिक वस्तुओं पर 1995 UNIDROIT (इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द यूनिफिकेशन ऑफ़ द प्राइवेट लॉ) कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
स्रोत –द हिन्दू