NBFCs ने परिसंपत्ति वर्गीकरण व प्रावधान मानदंडों पर RBI से छूट की मांग की
हाल ही में NBFCs ने परिसंपत्ति वर्गीकरण व प्रावधानन (प्रोविजनिंग) मानदंडों पर भारतीय रिज़र्व बैंक से छूट की मांग की है।
गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFCs) ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से अग्रिमों के लिए आय मान्यता, परिसंपत्ति वर्गीकरण और प्रावधानन (IRACP) के मानदंडों पर छूट की मांग की है।
नवंबर 2021 में RBI ने एक अधिसूचना जारी की थी। इसमें सभी बैंकों, NBFCS और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए अग्रिमों से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंडों को स्पष्ट किया गया था।
इसमें निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:
- NBFCs को ऐसे ऋणों को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के रूप में वर्गीकृत करना चाहिए, जिनका 90 दिनों से अधिक समय तक कोई भुगतान नहीं किया गया है।
- NPA के रूप में वर्गीकृत खातों को इस श्रेणी से तभी बाहर किया जाना चाहिए, जब उधारकर्ता ने ब्याज और मूलधन की संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान कर दिया हो।
- ऋण प्रदान करने वाली संस्थाएं उधारकर्ताओं के खातों को नियत तिथि पर अपने कारोबार की समाप्ति की प्रक्रियाओं के अंतर्गत अतिदेय के रूप में चिन्हित करेंगी।
- इसका उद्देश्य ऋण देने वाली सभी संस्थाओं में IRACP मानदंडों को लागू करने में एकरूपता लाना है।
NBFC क्यों छूट चाहते हैं?
- NBFC के अधिकांश उधारकर्ता स्व-नियोजित हैं या वे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) वर्ग से संबंधित हैं।
- वे आर्थिक रूप से कमजोर भी हैं।
- महामारी से उत्पन्न बाधा के उपरांत उन्हें अपने कार्यों को फिर से स्थिरता प्रदान करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होगी।
- देश भर के ग्राहकों को अपने भुगतान को व्यवस्थित करना होगा, जिसमें समय लगेगा।
NBFC, कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है। यह ऋण और अग्रिम, प्रदान करती है। साथ ही, शेयरों/स्टॉक/बांड/डिबेंचर/प्रतिभूतियों आदि की खरीद भी करती है।
स्रोत –द हिन्दू