RBI द्वारा स्थायी जमा सुविधा (SDF) शुरू करने की घोषणा
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने नई मौद्रिक नीति के तहत स्थायी जमा सुविधा (Standing Deposit facility: SDF) की शुरुआत की घोषणा की है । SDF, बैंकिंग प्रणाली से अधिशेष तरलता (जमा) को कम करने के लिए एक बुनियादी उपाय होगा।
- इससे पहले, कोविड महामारी के दौरान तरलता उपायों की घोषणा की गयी थी। RBI ने अर्थव्यवस्था में कई अन्य साधनों से तरलता का समावेश किया था। इन कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिशेष तरलता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- जब तरलता अधिशेष में हो (जैसा कि अभी है) तब RBI रिवर्स रेपो उपाय के माध्यम से तरलता को कम करता है।
- हालांकि, रिवर्स रेपो का तरीका जमानती (collateralised) विकल्प है। इसलिए, जब कोई बैंक अपना धन RBI के पास रखता है, तब उसे इसके बदले में RBI से प्रतिभूतियां (सिक्योरिटीज) प्राप्त होती हैं। हालांकि, अभी अर्थव्यवस्था में बड़ी मात्रा में अधिशेष तरलता है, परंतु RBI के पास बैंकों को देने के लिए उतनी अधिक प्रतिभतियां नहीं है।
- इसलिए, सरकार ने SDF को गैर-जमानती उपाय के रूप में शुरू किया है। इसलिए, RBI अब प्रतिभूतियों को दिए बिना अधिशेष तरलता को कम कर सकता है।
- SDF उपाय को वर्ष 2018 में RBI अधिनियम में संशोधन के माध्यम से लाया गया था। यह उर्जित पटेल समिति की सिफारिशों पर आधारित है। यह उपाय RBI को जमानत दिए बिना वाणिज्यिक बैंकों से तरलता प्राप्त करने की अनुमति देता है।
- SDF दर, तरलता समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility: LAF) कॉरिडोर के लिए नई न्यूनतम दर (Floor rate) होगी। यह निश्चित दर रिवर्स रेपो की जगह लेगी।
- LAF एक मौद्रिक नीति उपाय है। यह बैंकों को पुनर्खरीद समझौतों या रेपो के माध्यम से धन उधार लेने की अनुमति देता है। LAF में हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागी SDF योजना में भाग लेने के पात्र होंगे।
प्रमुख शब्दावली
- रेपो दर: वह ब्याज दर है, जिसे RBI उधार लेने वाले वाणिज्यिक बैंकों से प्राप्त करता है।
- रिवर्स रेपो : दर वह ब्याज दर है, जिसका RBI वाणिज्यिक बैंकों को भुगतान करता है, जब ये बैंक RBI में अपनी अतिरिक्त नकदी जमा कराते हैं। RBI इस धन का एक हिस्सा निश्चित दर पर और कुछ परिवर्तनीय दर पर उधार लेता है।
स्रोत –द हिन्दू