25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) जारी
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) जारी की है।
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट एक छमाही रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणाली की वित्तीय स्थिरता के समक्ष मौजूद खतरों और उनका सामना करने की इसकी क्षमता को दर्शाती है।
वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जारी करता है।
मुख्य निष्कर्ष–
बैंकिंग प्रणाली बिना पूंजीकरण के भी व्यापक आर्थिक संकटों का सामना कर सकती है।
इसे निम्नलिखित कई संकेतकों द्वारा रेखांकित किया गया है:
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) का जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (CRAR) 7 प्रतिशत की नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात मार्च 2022 में छह वर्षों के निचले स्तर 5.9% तक पहुंच गया।
- शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NNPA)अनुपात घटकर 1.7% हो गया।
- प्रोविजनिंग कवरेज अनुपात (PCR) 6% से बढ़कर 70.9% हो गया।
वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) उद्योगः
इसने संगठित वित्त तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है। हालांकि, इसने व्यापक वित्तीय प्रणाली के समक्ष अस्थिरता संबंधी खतरे उत्पन्न कर दिए हैं। तात्पर्य यह है कि इसने बैंकिंग प्रणाली के सामने डेटा प्राइवेसी, साइबर सुरक्षा, ग्राहक संरक्षण आदि से संबंधित खतरे पैदा कर दिए हैं।
क्रिप्टो परिसंपत्तियां: क्रिप्टोकरेंसी समय के साथ अस्थिरता और वित्तीय प्रणाली के डॉलरकरण (घरेलू धन की जगह विदेशी धन) को बढ़ावा दे सकती है। ऐसा इस कारण, क्योंकि यह समानांतर मुद्रा प्रणाली निर्मित करती है। इस तरह यह मुद्रा आपूर्ति, ब्याज दरों और व्यापक आर्थिक स्थिरता पर संप्रभु नियंत्रण को कमजोर कर सकती है।
केंद्रीय बैंक समर्थित डिजिटल मुद्राएं (CBDC): बैंक जमाओं से के स्थान पर ऐसे साधनों को अपनाना संभावित रूप से ऋण उपलब्धता को कम कर सकता है या ऋण लागत में वृद्धि कर सकता है।
स्रोत –द हिन्दू