RBI ने जारी की प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) पर एन.एस. विश्वनाथन समिति की रिपोर्ट
हाल ही में ,भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) पर एन. एस. विश्वनाथन समिति की रिपोर्ट जारी की है ।
इस समिति का गठन बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 में सहकारी समितियों पर लागू होने वाले प्रावधानों में संशोधन का लाभ प्राप्त करते हुए मुद्दों का परीक्षण करने तथा सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने हेतु किया गया था।
मुख्य अनुशंसाएं
विनियामक ढांचाः जमा राशि के आधार पर शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए चार स्तरीय संरचना का सुझाव दिया गया है। साथ ही, उनके आकार के आधार पर उनके लिए विभिन्न पूंजी पर्याप्तता व विनियामकीय मापदंड निर्धारित किए गए हैं।
समिति ने सुझाव दिया है कि उनके लिए जोखिमभारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (Capital to Risk-Weighted Assets Ratio: CRAR) 9 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक भिन्न-भिन्न हो सकता है। वहीं टियर-4 UCBs के लिए बेसलद्वारा निर्धारित मानदंड ही लागू रहेंगे।
छोटे शहरी सहकारी बैंकों के लिए छत्र संगठनः यह उन्हें अपना विस्तार करने हेतु एक नेटवर्क बनाने में सक्षम करेगा।
पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे (Supervisory Action Framework: SAF) को एक दोहरे संकेतक दृष्टिकोण (निवल गैर-निष्पादित आस्ति अनुपात (Net Non-performing Assets Ratio: NNPA) (CRAR) का पालन करना चाहिए।
- SAF का उद्देश्य किसी बैंक के वित्तीय दबाव के है निवारण हेतु समयबद्ध उपाय खोजना होना चाहिए।
- UCBs के समाधान पर अनुशंसाः RBI, बैंकिंग विनियमनअधिनियम के तहत बैंकिंगकंपनियों के समान UCBs के लिए अनिवार्य समामेलन या पुनर्निर्माण की योजना निर्मित कर सकता है ।
- शहरी सहकारी बैंकों को मुद्रा (MUDRA), ब्याज अनुदान योजना आदि जैसी सरकारी योजनाओं के तहत योग्य बैंकों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
स्रोत –पीआईबी