RBI द्वारा डिजिटल लेंडिंग को विनियमित करने हेतु दिशा-निर्देश
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल लेंडिंग को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देशों का पहला सेट जारी किया है ।
ये दिशा-निर्देश डिजिटल माध्यम से ऋण देने वाली निम्नलिखित संस्थाओं के लिए जारी किए गए हैं – RBI द्वारा विनियमित संस्थाएं (REs) और उपर्युक्त संस्थाओं से जुड़ी ऋण सेवा प्रदाता संस्थाएं (LSPs), जो अलग-अलग प्रकार की अनुमत ऋण सुविधा सेवाएं प्रदान करते हैं।
ये दिशा-निर्देश वर्ष 2021 में RBI द्वारा “डिजिटल लेंडिंग” पर गठित कार्य समूह की सिफारिशों पर आधारित हैं।
निम्नलिखित चिंताओं के कारण इन दिशा-निर्देशों को जारी करना जरूरी हो गया थाः
- कर्ज देने में तीसरे पक्ष की अनियंत्रित संलग्नता,
- गलत सूचना देकर ऋण देना और डेटा गोपनीयता का उल्लंघन,
- अनुचित व्यवसाय व्यवहार,
- अत्यधिक ब्याज दरों की वसूली,
- ऋण वसूली के लिए अनैतिक तरीकों को अपनाना आदि।
दिशा-निर्देशों के मुख्य प्रावधान-
- सभी ऋणों का वितरण केवल कर्जदार के बैंक खाते और विनियमित संस्थाओं के बीच किया जाएगा। इस प्रक्रिया में LSPs या कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं होगा।
- कर्ज में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाली LSPs को दिए जाने वाले किसी भी शुल्क आदि का भुगतान विनियमित संस्थाएं करेंगी, न कि कर्ज लेने वाला व्यक्ति।
- डिजिटल लेंडिंग ऐप्स पर जितनी जरुरत होगी, उतना ही डेटा प्राप्त किया जाएगा।
- विनियामक ढांचा इस सिद्धांत पर आधारित है कि वे या तो RBI द्वारा विनियमित किए जाएंगे या किसी अन्य कानून के तहत ऐसा करने की अनुमति प्राप्त संस्थाओं द्वारा विनियमित होंगे।
डिजिटल लेंडिंग के बारे में:
- यह ऋण लेने की वह प्रक्रिया है, जिसके लिए डिजिटल माध्यम से आवेदन किया जाता है। ऐसे ऋणों का वितरण और प्रबंधन भी डिजिटल चैनलों के माध्यम से ही किया जाता है।
- इसमें ऋण देने वाली संस्थाएं डिजिटल डेटा का उपयोग ऋण देने और ग्राहकों से जुड़ने के लिए करती हैं।
स्रोत –द हिन्दू