राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार

चर्चा में क्यों

केंद्र सरकार ने वैज्ञानिकों को सम्मानित करने के लिये राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार की श्रेणी के तहत 56 पुरस्कारों (3 विज्ञान रत्न, 25 विज्ञान श्री, 25 युवा विज्ञान शांति स्वरूप भटनागर, 3 विज्ञान टीम पुरस्कार) को शुरू करने का निर्णय लिया है।

इन पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर की जाएगी और वर्ष 2024 में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर प्रदान किये जाएंगे।

  • पुरस्कार का उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले नवाचार के विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और नवप्रवर्तकों द्वारा व्यक्तिगत रूप से या टीमों में किए गए उल्लेखनीय और प्रेरक योगदान को मान्यता देना है।
  • यह भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक होगा।
  • सरकारी, निजी क्षेत्र के संगठनों में काम करने वाले वैज्ञानिक/प्रौद्योगिकीविद्/नवप्रवर्तक या किसी संगठन के बाहर काम करने वाला कोई भी व्यक्ति, जिन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी या प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले नवाचार के किसी भी क्षेत्र में पथ-प्रदर्शक अनुसंधान या नवाचार या खोज के संदर्भ में विशिष्ट योगदान दिया है। यह पुरस्कार के लिए पात्र होंगे।
  • विदेश में रहकर भारतीय समुदायों या समाज को लाभ पहुंचाने में असाधारण योगदान देने वाले भारतीय मूल के लोग भी पुरस्कार के लिए पात्र होंगे

Rashtriya Vigyan Puraskar

पुरस्कार निम्नलिखित चार श्रेणियों में दिए जाएंगे:-

  • विज्ञान रत्न (वीआर) पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में की गई जीवन भर की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देगा।
  • विज्ञान श्री (वीएस) पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट योगदान को मान्यता देगा।
  • विज्ञान युवा-शांति स्वरूप भटनागर (वीवाई-एसएसबी) पुरस्कार 45 वर्ष की आयु तक के युवा वैज्ञानिकों को मान्यता देगा और प्रोत्साहित करेगा जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है।
  • विज्ञान टीम (वीटी) पुरस्कार तीन या अधिक वैज्ञानिकों/शोधकर्ताओं/नवप्रवर्तकों की एक टीम को दिया जाएगा, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में एक टीम में काम करके असाधारण योगदान दिया हो।
  • सरकारी या निजी संगठनों में विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद् और नवप्रवर्तक जिन्होंने विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान, प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार या खोज में योगदान दिया है या महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव वाले नवीन प्रौद्योगिकियों/उत्पादों का विकास किया है। यह पुरस्कार के पात्र होगें ।
  • बड़े पैमाने पर भारतीय समुदायों या समाज को लाभ पहुंचाने वाले असाधारण योगदान वाले भारतीय मूल के वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीविद् और नवप्रवर्तक भी पात्र होंगे।
  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 13 क्षेत्रों में दिया जाएगा, अर्थात् भौतिकी, रसायन विज्ञान, जैविक विज्ञान, गणित और कंप्यूटर विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग विज्ञान, कृषि विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी , और दूसरे। लैंगिक समानता सहित प्रत्येक डोमेन/क्षेत्र से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार पुरस्कारों के लिए प्राप्त सभी नामांकन राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार समिति (आरवीपीसी) के समक्ष रखे जाएंगे, जिसकी अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) करेंगे और इसमें विज्ञान विभागों के सचिव, विज्ञान और इंजीनियरिंग अकादमियों के सदस्य और शामिल होंगे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों के कुछ प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् भी होगें ।
  • पुरस्कारों के इस समूह के लिए नामांकन हर साल 14 जनवरी को आमंत्रित किए जाएंगे जो हर साल 28 फरवरी (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) तक खुले रहेंगे। इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल 11 मई (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस) को की जाएगी। सभी श्रेणियों के पुरस्कारों के लिए पुरस्कार समारोह 23 अगस्त (राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस) को आयोजित किया जाएगा। सभी पुरस्कारों में एक सनद और एक पदक होगा।
  • ये नए राष्ट्रीय पुरस्कार भारत सरकार द्वारा उच्चतम स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय की उपलब्धियों को मान्यता देने में एक परिवर्तनकारी कदम हैं। संपूर्ण चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ, वैज्ञानिक अन्वेषकों और प्रौद्योगिकीविदों के सभी वर्गों द्वारा किए गए कार्यों को अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों के बराबर दर्जा प्रदान करते हुए सम्मानित किया जाएगा।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस:

परिचय:

  • यह दिवस पहली बार वर्ष 1999 में मनाया गया था, इसका उद्देश्य भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों को याद करना है।
  • इस दिवस का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था।
  • प्रत्येक वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत भारत का प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उनके योगदान के लिये व्यक्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कर इस दिवस को मनाता है।

महत्त्व:

  • यह वह दिन है जब भारत ने 11 मई, 1998 को पोखरण में परमाणु बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।
  • भारत ने पोखरण-II नामक ऑपरेशन में अपनी शक्ति-1 परमाणु मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसे ऑपरेशन शक्ति भी कहा जाता है।

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