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Question – ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।- 19 April
Answers –
अंग्रेजों द्वारा अपनाई जाने वाली आर्थिक नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को एक औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में तेजी से बदल दिया, जिसकी प्रकृति और संरचना ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की जरूरतों द्वारा निर्धारित की गई थी। इस संबंध में भारत की ब्रिटिश विजय पिछले सभी विदेशी विजय से भिन्न थी।
ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
Ø विऔद्योगिकीकरण- भारतीय हस्तशिल्प का पतन।
Ø कृषकों की बढ़ती हुई दरिद्रता।
Ø पुराने जमींदारों की तबाही तथा नयीं जमीदारीं व्यवस्था का उदय।
Ø कृषि में स्थिरता एवं बर्बादी।
Ø भारतीय कृषि का वाणिज्यीकरण।
Ø आधुनिक उद्योगों का विकास।
Ø राष्ट्रीय बुर्जुआ वर्ग का उदय।
Ø आर्थिक निकास।
Ø अकाल एवं गरीबी।
औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की राष्ट्रवादी आलोचना
Ø औपनिवेशिक शोषण के कारण ही भारत दिनोंदिन निर्धन होता जा रहा है।
Ø गरीबी की समस्या एवं निर्धनता में वृद्धि।
Ø औद्योगिकीकरण का विदेशी हितों के अनुरूप होना। इसे भारतीय हितों के अनुरूप होना चाहिए।
Ø ब्रिटिश शासन की व्यापार, वित्त, आधारभूत विकास तथा व्यय की नीतियां साम्राज्यवादी हितों के अनुरूप हैं।
Ø भारतीय शोषण को रोकने एवं भारत की स्वतंत्रत अर्थव्यवस्था को विकसित करने की मांग।
Ø रेलवे का विकास अंग्रेजों ने अपने व्यापारिक लाभ के लिये किया है, न कि भारत के विकास के लिये।
निष्कर्ष:
इस प्रकार ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिससे समाज के सभी वर्ग के लोगों को यह सोचने पर विवश होना पड़ा कि उनकी समस्त आर्थिक समस्यायें, उपनिवेशी शासन की देन है। सक्षम औपनिवेशिक शोषण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के पूंजीवादी रूपांतरण को कुंठित कर दिया।