दूरसंचार क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs) को बढ़ावा

दूरसंचार क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs) को बढ़ावा

हाल ही में दूरसंचार विभाग, दूरसंचार क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs) को बढ़ावा देने वाले एक रणनीतिक रोडमैप पर विचार कर रहा है ।

दूरसंचार क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) को बढ़ावा देने के पीछे कारणः

  • दूरसंचार उपकरणों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी 1% से भी कम है।
  • भारत में दूरसंचार पेटेंट देने में 5-8 वर्ष लगते हैं। वहीं अमेरिका में इसके लिए 1-2 वर्ष और चीन में 3 वर्ष ही लगते हैं।
  • भारत के पास दूरसंचार क्षेत्र के लिए सार्वजनिक पहुँच वाला इंडिया पेटेंट डेटाबेस नहीं है, जिसे स्टार्टअप्स भी प्राप्त कर सकें।

प्रस्तावित रोडमैप:

  • सॉवरेन पेटेंट फंडः इसके तरह घरेलू कंपनियों से पेटेंट एकत्र करना और उन्हें विदेशों में सामूहिक रूप में प्रस्तुत करने की योजना है। साथ ही, 5G और 6G जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों हेतु देश के लिए पेटेंट लाइसेंस प्राप्त करना भी शामिल है।
  • भारत टेक्नोलॉजी बैंकः इसके अंतर्गत जरूरतमंद देशों को मामूली शुल्क के भुगतान पर भारतीय पेटेंट देने की योजना है। इसके पीछे उद्देश्य राजनयिक सद्भावना पैदा करना और भारतीय कंपनियों को नए बाजारों तक पहुंचने में मदद करना है।
  • डिजिकॉम बौद्धिक संपदा प्रबंधन बोर्डः भारत में मानक अनिवार्य पेटेंट (SEP) से संबंधित मुद्दों पर IPR लाइसेंसिंग, IP प्रबंधन और माध्यस्थम (arbitrate) जैसी सुविधा प्रदान करने की योजना है। SEP दूरसंचार उद्योग की मुख्य प्रौद्योगिकियों जैसे वाईफाई, ब्लूटूथ, जीपीएस आदि की रक्षा करता है।

दूरसंचार क्षेत्र के लिए लाभः

  • यह रणनीति भारतीय दूरसंचार क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगी।
  • यह अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से तकनीकी क्षमताओं के विस्तार में निवेश को प्रोत्साहित करेगी।

स्रोत –द हिन्दू

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