प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB)
- हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) शुरू करने का सुझाव दिया है।
- उच्चतम न्यायालय राजस्थान और गुजरात में भूमि के ऊपर विद्युत पारेषण तारों से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की रक्षा के लिए उपाय किए जाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है।
- इसी सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज पर प्रोजेक्ट GIB का विचार प्रस्तुत किया है।
- इससे पहले अप्रैल 2021 में उच्चतम न्यायालय ने उपर्युक्त दोनों राज्यों की बिजली कंपनियों को हाई टेंशन बिजली की तारों को भूमिगत करने का आदेश दिया था।
- ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ को किसी एक प्रजाति के लिए शुरू किए गए विश्व के सबसे सफल संरक्षण कार्यक्रमों में से एक माना जाता है।
- भारत में प्रजाति – विशेष अन्य परियोजनाओं में प्रोजेक्ट एलीफैंट, प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड, एशियाई शेर संरक्षण परियोजना, प्रोजेक्ट डॉल्फिन आदि शामिल हैं।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के बारे में
- इसके पर्यावासों में शुष्क और अर्ध-शुष्क घासभूमियां, कंटीली झाड़ियों वाला खुला क्षेत्र, लंबी घासों से युक्त कृषि क्षेत्र आदि शामिल हैं। यह पक्षी सिंचित क्षेत्रों में जाने से बचता है
- राजस्थान में इसकी संख्या सर्वाधिक है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की स्थानिक (एंडेमिक) प्रजाति है।
- महत्वपूर्ण स्थल हैं: डेजर्ट नेशनल पार्क अभयारण्य ( राजस्थान), नलिया (गुजरात), वरोरा (महाराष्ट्र), बेल्लारी (कर्नाटक) आदि ।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) को IUCN लाल सूची में क्रिटिकली इंडेजर्ड घोषित किया गया है ।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड निम्नलिखित वजहों से खतरों का सामना कर रहा है:
- शिकार,पर्यावास स्थलों का नुकसान,’हरियाली’ से जुड़ी परियोजनाएं, जो शुष्क घासभूमियों को वन क्षेत्रों में बदल रही हैं,
- परमक्षियों द्वारा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के अंडों का शिकार आदि ।
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संचालित ‘वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास के तहत रिकवरी कार्यक्रम की प्रजातियों में शामिल है।
स्रोत – द हिन्दू