राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) स्थल की प्रगति की समीक्षा
हाल ही में प्रधान मंत्री ने लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) स्थल की प्रगति की समीक्षा की है ।
NMHC भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है। इसका विकास सागरमाला योजना के तहत किया जा रहा है।
यह परियोजना भारत की समृद्ध और विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करेगी। यहां पर प्राचीन से लेकर आधुनिक समय तक की सभी विविधतापूर्ण और समृद्ध कलाकृतियों को एडुटेनमेंट उद्देश्यों के लिए दर्शाया जाएगा।
शैक्षिक उद्देश्यों से डिजाइन किए गए मनोरंजन को एडुटेनमेंट कहा जाता है। इसे पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय वित्त पोषित कर रहे हैं। इसका वित्त पोषण राष्ट्रीय संस्कृति कोष के माध्यम से अनुदान द्वारा किया जा रहा है।
लोथल, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख नगर था। यहां से मानव निर्मित प्राचीनतम और सूख चुके गोदीबाड़े (डॉकयाड) के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। यह 2400 ईसा पूर्व का है। यह खंभात की खाड़ी के निकट भोगवा और साबरमती नदियों के बीच स्थित है।
भारत की समुद्री विरासत
- समुद्री गतिविधियों का प्राचीनतम उल्लेख ऋग्वेद में प्राप्त होता है। गुजरात के वडनगर के समीप उत्खनन के दौरान सिकोतर माता (समुद्र की देवी) का एक मंदिर भी मिला था।
- नंद, मौर्य, सातवाहन और गुप्त वंश के दौरान भी समुद्री गतिविधियों का उल्लेख मिलता है।
- दक्षिण भारत में चोल, चेर, पांड्य और विजयनगर साम्राज्य भी समुद्री संसाधनों से संपन्न थे।
- उदाहरण के लिए, चोलों ने अरब और चीन के व्यापारियों को आकर्षित किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने क्षेत्र में यूरोपीय नौसेना का मजबूती से प्रतिरोध करने के लिए एक विशाल नौसैनिक बेड़े का निर्माण किया था ।
स्रोत – द हिन्दू