संसद के किसी सत्र की समाप्ति की प्रक्रिया
हाल ही में, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुदुचेरी और केरल राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए इन राज्यों के सम्बंधित सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे भाग को संक्षिप्त करने हेतु किए गए अनुरोध के आधार पर संसद के दोनों सदनों को उनके निर्धारित समय से लगभग चौदह दिन पूर्व अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
किसी संसदीय सत्र को स्थगन (Adjournment), अनिश्चित काल के लिए स्थगन (Adjournment Sine Die), सत्रावसान (Prorogation) या विघटन (Dissolution) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
स्थगन (Adjournment): इसके द्वारा सदन के सत्र के कार्यों को एक निर्दिष्ट समय के लिए निलंबित किया जाता है और निलंबन की अवधि कुछ घंटे, दिन या सप्ताह तक हो सकती है।
अनिश्चित काल के लिए स्थगन (Adjournment Sine Die): इसके तहत सत्र को पुनः समवेत करने की पूर्व निर्धारित सूचना के बिना सदन को स्थगित कर दिया जाता है अर्थात सदन की बैठक को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर दिया जाता है।
स्थगन या अनिश्चितकालीन स्थगन की घोषणा करने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति के पास होता है।
सत्रावसान (Prorogation): सत्र के कार्यों के पूरा हो जाने के बाद राष्ट्रपति सत्रावसान करने की अधिसूचना जारी करता है और इसके उपरांत पीठासीन अधिकारी सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने की घोषणा करता है। ध्यान रहे कि राष्ट्रपति, सत्र जारी रहने के दौरान भी सत्रावसान कर सकता है।
विघटन (Dissolution):राज्य सभा एक स्थायी सदन होता है अतः इसका विघटन नहीं होता है, अर्थात विघटन केवल लोकसभा का ही हो सकता है। इसके पश्चात मौजूदा सदन का कार्यकाल समाप्त हो जाता है तथा पुनः आम चुनावों के पश्चात सदन के नए कार्यकाल निर्धारित होते हैं।
लोकसभा को विघटित करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है।
स्रोत: द हिन्दू