‘पावर्टी एंड शेयर्ड प्रॉस्पेरिटी 2022 : करेक्टिग कोर्स‘ रिपोर्ट
हाल ही में विश्व बैंक ने ‘पावर्टी एंड शेयर्ड प्रॉस्पेरिटी 2022: करेक्टिग कोर्स’ रिपोर्ट जारी की है ।
पावर्टी एंड शेयर्ड प्रॉस्पेरिटी’ द्विवार्षिक रिपोर्ट श्रृंखला है। यह रिपोर्ट वैश्विक गरीबी और साझी समृद्धि पर नवीनतम अनुमान एवं रुझान प्रदान करती है।
विश्व बैंक ने 2.15 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन को नई चरम गरीबी रेखा के रूप में परिभाषित किया है।
यह वर्ष 2017 की क्रय शक्ति समता (PPPs) पर आधारित है। इससे पहले गरीबी रेखा का निर्धारण 1.90 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पर किया जाता था।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष–
- कोविड महामारी की वजह से वर्ष 2020 में वैश्विक चरम गरीबी दर बढ़कर अनुमानतः 3% हो गई थी। वर्ष 2019 में यह 8.4% थी।
- इस तरह की आर्थिक अक्षमताओं के प्राथमिक कारण हैं: कोविड के दौरान गंभीर आर्थिक मंदी और हालिया , यूक्रेन युद्ध।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक दुनिया से चरम गरीबी के उन्मूलन के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करना संभव नहीं है।
- वर्ष 2019-20 में, भारत की 10% आबादी उपर्युक्त नवीनतम गरीबी रेखा के नीचे रह रही थी।
- वर्ष 2020 में 6 करोड़ भारतीय आबादी गरीबी रेखा के नीचे आ गई थी।
- वर्ष 2020 में 6 करोड़ भारतीय आबादी गरीबी रेखा के नीचे आ गई थी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में 12% आबादी तथा शहरी क्षेत्रों में 6% आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही थी।
- वर्ष 2011 से भारत में (विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों) में गरीबी में कमी आई है।
राजकोषीय पहलू के तहत सुझाए गए समाधान
- व्यापक सब्सिडी की बजाय लक्षित नकद हस्तांतरण का विकल्प अपनाया जाना चाहिए। दीर्घकालिक संवृद्धि के लिए सार्वजनिक व्यय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- गरीबों को प्रभावित किए बिना कर राजस्व जुटाने पर बल दिया जाना चाहिए।
स्रोत – द हिन्दू