प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया
हाल ही में, प्रधान मंत्री ने राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया है। इसे नवनिर्मित संसद भवन के शीर्ष पर स्थापित किया गया है।
नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक के निर्माण की अवधारणा का रेखाचित्र और प्रक्रिया, मिट्टी प्रारूप/ कंप्यूटर ग्राफिक से लेकर कांस्य ढलाई और पॉलिश करने तक की तैयारी सहित आठ विभिन्न चरणों से गुजरी है।
राष्ट्रीय प्रतीक के बारे में:
- भारत का राजचिह्न सारनाथ में अशोक स्तंभ के शीर्ष पर बनी सिंह आकृतियों का अनुरूपण है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। इसे 26 जनवरी, 1950 को भारत के ‘राष्ट्रीय चिन्ह’ के रूप में अपनाया गया था।
- शीर्ष पर सिंह आकृतियों के नीचे देवनागरी लिपि में आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते उत्कीर्ण है। इसका अर्थ है “सत्य की विजय होती है। यह आदर्श वाक्य प्रतीक का हिस्सा है।
- इसे समकालीन भारत द्वारा विश्व शांति और सद्भावना के प्रति अपनी प्राचीन प्रतिबद्धता की पुन:अभिपुष्टि के प्रतीक के रूप में चुना गया था।
इतिहास:
- अशोक स्तंभ के मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं।
- इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं।
- एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र‘ रखा हुआ है।
महत्व:
बौद्ध व्याख्याओं के अनुसार, अशोक स्तंभ में उत्कीर्ण जानवरों के चित्र बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि, गैर-धार्मिक व्याख्याओं के अनुसार- कि मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह, चार भौगोलिक दिशाओं में सम्राट अशोक के शासनकाल को दर्शाते हैं, जबकि ‘पहिया’ या चक्र अशोक के प्रबुद्ध शासन को दर्शाता है।
स्रोत –पीआईबी