प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
हाल ही में संसदीय स्थायी समिति ने प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) पर अपनी रिपोर्ट जारी की है।
‘प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना’ एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 2000 में शुरू किया गया था।
इसका योजना उद्देश्य राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी पात्र असंबद्ध बस्तियों को हर मौसम में प्रयोग में लाए जाने योग्य सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
इसका लक्ष्य सड़क संपर्क विहीन बस्तियों को हर मौसम में सुलभ सड़क संपर्क प्रदान करना है। ऐसी बस्तियों के लिए निम्नलिखित जनसंख्या मानदंड निर्धारित किए गए हैं-
2001 की जनगणना के अनुसार मैदानी क्षेत्र में 500 व्यक्तियों की आबादी होनी चाहिए;
विशेष श्रेणी के राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तर पूर्व के राज्य, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड) में 250 व्यक्तियों या उससे अधिक की आबादी होनी चाहिए।
इसके तहत रेगिस्तानी क्षेत्र, जनजातीय क्षेत्र (संविधान की 5वीं अनुसूची) और चयनित जनजातीय तथा पिछड़े क्षेत्र शामिल हैं।
वर्तमान स्थिति: PMGSY – I (2000) और PMGSY-II (2013) के तहत स्वीकृत परियोजना का क्रमशः 96.24 प्रतिशत और 97.01 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
चुनौतियां
खराब सड़क निर्माण सामग्री,अधीनस्थ ठेकेदारों के माध्यम से काम करवाना,साथ ही लॉजिस्टिक से संबंधित समस्याओं या समय पर फंड जारी न होने के कारण देरी होना आदि ।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें
केंद्र और राज्य दोनों स्तरों की नोडल एजेंसियों को एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
इस योजना को मनरेगा के साथ जोड़ा जाना चाहिए ।
सीमा सड़क संगठन ( BRO) को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए नवोन्मेषी उपायों को अपनाना चाहिए ।
ऑनसाइट सड़क गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं के प्रावधान का कठोर अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए ।
सड़कों के निर्माण के बाद उनका रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धनराशि जारी की जानी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अप्रयुक्त धनराशि का जितनी जल्दी हो सके व्यय किया जाए ।
पंचायतों को एक संदर्भ बिंदु / इकाई के रूप में स्वीकार करने की व्यवहार्यता पर विचार किया जाना चाहिए ।
स्रोत – द हिन्दू