अमेरिका ने ‘चुनो और अपनाओ’ आधारित इंडो–पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) का प्रस्ताव प्रस्तुत
अमेरिका ने “चुनो और अपनाओ” (pick-and-choose) आधारित इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
प्रस्तावित IPEF में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की आर्थिक प्रतिबद्धता के संबंध में किये गए प्रश्नों का बाइडेन प्रशासन द्वारा दिए गए उत्तर हैं ।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र कई पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों की नीतियों का केंद्र बिंदु रहा है। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा की “एशिया की धुरी” (Pivot to Asia) या “पुनर्संतुलन” रणनीति तथा ट्रंप प्रशासन की “हिंद-प्रशांत के लिए रणनीतिक रूपरेखा” आदि।
IPEF को अलग-अलग आर्थिक मुद्दों पर वार्ता के लिए एक मंच के रूप में प्रस्तावित किया गया है।
आर्थिक मुद्दों को चार स्तंभों में बांटा गया है:
- निष्पक्ष और बिना अवरोध के व्यापार;
- आपूर्ति श्रृंखला की निरंतरता;
- अवसंरचना, स्वच्छ ऊर्जा और वि-कार्बनीकरण तथा
- कर और भ्रष्टाचार का विरोध ।
संयुक्त राज्य अमेरिका IPEF में भारत की भागीदारी को बहुत महत्वपूर्ण मानता है।
भारत इस फ्रेमवर्क को सकारात्मक रूप में देखता है। भारत ‘आपूर्ति श्रृंखला की निरंतरता’ स्तम्भ के मामले में विशेष रूप से सहयोग का पक्षधर है। हालांकि, भारत ने विभिन्न देशों को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने हेत फ्रेमवर्क में लचीलापन लाने की भी मांग की है।
अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी आर्थिक गतिविधियों में भारत को एक “महत्वपूर्ण भागीदार” के रूप में देखता है। साथ ही, IPEF के बारे में शंकाओं के समाधान के लिए वह भारत सरकार के साथ “बहुत सक्रिय रूप से संवाद” भी कर रहा है ।
चीन की बेल्ट एंड रोड पहल को देखते हुए, हिंद-प्रशांत क्षेत्र अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पहलुओं के मामले में हित साधने के लिए एक अवसर प्रस्तुत करता है।
स्रोत –द हिन्दू