पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (PNGRB)
हाल ही में पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (PNGRB) ने अवसंरचना विकास में तेजी लाने के लिए प्राकृतिक गैस मानदंडों में संशोधन किया है।
PNGRB ने प्राकृतिक गैस पाइपलाइन प्रशुल्क, प्राधिकरण और क्षमता विनियमों में संशोधन किए हैं।
इन संशोधनों का उद्देश्य एक राष्ट्र एक ग्रिड और एक प्रशुल्क लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश के दूर-दराज क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी व सस्ती दरों पर प्राकृतिक गैस पहुंचाना है।
ये संशोधन एकीकृत प्रशुल्क विनियमों के कार्यान्वयन के लिए आरंभिक प्रयासों के रूप में कार्य करेंगे। एकीकृत प्रशुल्क विनियमन 1 अप्रैल 2023 से लागू होंगे।
प्रमुख संशोधन
अलग-अलग क्षेत्रों में उपभोक्ताओं के समग्र हितों की रक्षा के लिए एकीकृत प्रशुल्क जोन्स की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई है।
कंपनी स्तर पर समेकित प्राकृतिक गैस पाइपलाइन प्रशुल्क लागू किए गए हैं। ये राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत प्रशुल्क प्रणाली लागू करने में भूमिका निभाएंगे।
प्राकृतिक गैस गंधहीन होती है। यह हाइड्रोकार्बन का गैसीय मिश्रण है। यह मुख्य रूप से मीथेन से बनी है।
भारत, विश्व में तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का चौथा सबसे बड़ा आयातक है। भारत ने वर्ष 2030 तक अपने एनर्जी मिक्स में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान 6% से बढ़ाकर 15% करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम
सिटी गैस नेटवर्क (CGD): पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड अधिनियम, 2006 के तहत PNGRB देश के विशेष भौगोलिक क्षेत्रों में CGD नेटवर्क विकसित करने के लिए कंपनियों को अधिकृत करता है।
प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना: इसके तहत घरों को और शहरों में परिवहन के लिए स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है।
पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (PNGRB) के बारे में
इसका गठन PNGRB अधिनियम, 2006 के तहत किया गया था।
इसका उद्देश्य पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से संबंधित विशेषीकृत गतिविधियों में लगे उपभोक्ताओं तथा संस्थाओं के हितों की रक्षा करना है।
स्रोत – द हिन्दू