RBI ने 1 जनवरी, 2022 से PCA ढांचे को संशोधित किया
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होने वाले बैंकों के लिए निर्धारित PCA ढांचे को संशोधित किया है।
RBI ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) के लिए मौजूदा त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action: PCA) BANK ढांचे को संशोधित किया है।
ध्यातव्य है कि इस रूपरेखा को अंतिम बार अप्रैल 2017 में संशोधित किया गया था।
इसका उद्देश्य अशोध्य ऋण (bad loans) और पूंजी पर्याप्तता से संबंधित विनियामकीय सीमाओं का उल्लंघन करने वाले बैंकोंको नियंत्रित करना है। साथ ही, बाजार अनुशासन को सुनिश्चित करना है।
यह ढांचा भारत में परिचालनरत सभी बैंकों पर लागू होगा। इनमें शाखाओं या सहायक कंपनियों के माध्यम से संचालित होने वाले विदेशी बैंक भी शामिल हैं। यह ढांचा निर्दिष्ट संकेतकों की जोखिम सीमा के उल्लंघन पर आधारित है।
जोखिम सीमा के लिए निर्धारित मानदंडों में पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभांश क्षमता शामिल हैं। इन्हें क्रमशः जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (CRAR) /सामान्य इक्विटी टियर-अनुपात, निवल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात और टियर- लीवरेज अनुपात के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा।
वर्ष 2017 के ढांचे में, जोखिम सीमा निर्धारित करने के लिए लाभप्रदता मानदंड सिंपत्ति पर प्रतिलाम (return on assets: ROA) के माध्यम से मापा गया) को भी शामिलकिया गया था। इसे संशोधित ढांचे में शामिल नहीं किया गया है।
तीन जोखिम सीमाएँ RBI को लाभांश वितरण, शाखा विस्तार, पूंजीगत व्यय आदि पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति प्रदान करेंगी।
किसी भी जोखिम सीमा के उल्लंघन के परिणामस्वरूप PCA को लागू किया जा सकता है।
वर्तमान में, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया PCA के अधीन है।
महत्वपूर्ण शब्दावली
- पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital adequacy ratio: CAR) या CRAR बैंक की जोखिम-भारित परिसंपत्तियों एवं देनदारियों के संबंध में उसकी पूंजी का अनुपात है।
- जब किसी ऋण या अग्रिम के मूलधन या व्याज का 90 दिनों तक भुगतान नहीं किया जाता है, तो उस ऋण या अग्निम को NPA घोषित कर दिया जाता है।
- ज्ञातव्य है कि टियर 1 लीवरेज अनुपात बैंक की सकल पूंजी को उसकी कुल परिसंपत्ति से मापता है। टियर 1 लीवरेज अनुपात जितना अधिक होगा, बैंक की नकारात्मक आघात सहने की क्षमता उतनी ही अधिक होगी।
- टियर 1 पूंजीः इसमें मुख्य रूप से सामान्य स्टॉक और डिस्क्लोज्ड रिज़र्व होते हैं। लेकिन, इसमें गैर-प्रतिदेय व गैर-संचयी प्रकृति के अधिमानीस्टॉक भी शामिल हो सकते हैं।
स्रोत –द हिन्दू