तापी, पार और नर्मदा नदियों को जोड़ने वाली परियोजना का विरोध

तापी, पार और नर्मदा नदियों को जोड़ने वाली परियोजना का विरोध

गुजरात में आदिवासी समुदाय तापी, पार और नर्मदा नदियों को जोड़ने वाली परियोजना का विरोध कर रहे हैं ।

नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजना की परिकल्पना वर्ष 1980 की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत की गई है। इसके तहत पश्चिमी घाट के जल अधिकता वाले क्षेत्रों से सौराष्ट्र  कच्छ के जल की कमी वाले क्षेत्रों में नदी जल को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।Protest Against The Par Tapi-Narmada River Linking Project

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan: NPP):

  • इसे राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना (National River Linking Project: NRLP) के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत जल अधिकता वाली जलमग्न नदी घाटियों से सूखे या जल की कमी वाली नदी घाटियों में जल स्थानांतरण की परिकल्पना की गई है।
  • इसमें तीन नदियों, यथा- पार (महाराष्ट्र के नासिक से उद्गम), तापी (सतपुड़ा से निकलने वाली) और नर्मदा (मध्य प्रदेश में उद्गम) को जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
  • इसके तहत सात बांधों (झेरी, मोहनकवचली, पाइखेड़, चासमांडवा, चिक्कर, डाबदार और केलवान) का निर्माण किया जाना है। इनमें से एक महाराष्ट्र में और अन्य गुजरात में स्थित होंगे।

महत्व:

  • यह सरदार सरोवर बांध के जल की बचत करने मदद करेगा, जिसका उपयोग वर्तमान में सौराष्ट्र क्षेत्र में सिंचाई के लिए किया जाता है।
  • इस परियोजना के तहत चार बांध स्थलों (डैम साइट्स) पर बिजलीघरों का निर्माण किया जाना है। इस प्रकार, इससे जल विद्युत उत्पादन में सहायता मिलेगी।
  • इन बांधों के कारण निर्मित होने वाले जलाशयों से नदी के प्रवाह की दिशा वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बाढ़ से भी राहत मिलेगी।
  • हालांकि, आदिवासियों द्वारा मुख्य रूप से भूमि के जलमग्न होने, विस्थापन और आजीविका के नुकसान के संबंध में चिंता व्यक्त की गई है।

स्रोत हिन्दू

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