इंडोनेशिया में पाम ऑयल की कमी
वर्तमान में इंडोनेशिया घरेलू स्तर पर पाम ऑयल की कमी का सामना कर रहा है। इससे इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ।
इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है ।
इससे निपटने के लिए वह मूल्य नियंत्रण और निर्यात पर अंकुश जैसे विकल्प अपना रहा है। इसी वजह से निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है।
विदित हो कि इंडोनेशिया विश्व का सबसे बड़ा पाम ऑयल उत्पादक और निर्यातक देश है।
इंडोनेशिया में पाम ऑयल संकट हेतु उत्तरदायी कारण–
- बढ़ती मांग के कारण घरेलू स्तर पर कमी उत्पन्न हो गयी है। पाम ऑयल के दो बड़े उत्पादकों इंडोनेशिया और मलेशिया में पाम ऑयल का उत्पादन कम हुआ है।
- डीजल में पाम ऑयल का अनिवार्य रूप से मिश्रण किया जा रहा है।
- अन्य खाद्य तेलों की आपूर्ति भी बाधित हुई है।
- सूरजमुखी का तेलः रूस और यूक्रेन की सूरजमुखी के तेल के वैश्विक व्यापार में लगभग 80% हिस्सेदारी है। दोनों देशों के बीच युद्ध के कारण सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
- सोयाबीन तेलः दक्षिण अमेरिका में शुष्क मौसम के कारण इसकी आपूर्ति बाधित हुई है।
भारत पर प्रभाव:
- इससे देश में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। इंडोनेशिया भारत में पाम ऑयल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
- खाद्य तेल (जैसे पाम ऑयल) तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) के लिए प्रमुख कच्चा माल होते हैं। ऐसे में इन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि खाद्य उत्पादों से परे उपभोक्ता वस्तुओं जैसे कि साबुन, शैंपू आदि के मूल्यों में भी बढ़ोतरी कर सकती है।
- पाम ऑयल एक खाद्य वनस्पति तेल है। यह तेल पाम वृक्ष के फल से प्राप्त होता है। यह अधिक उपज वाली फसल है। यह किसी भी अन्य समान वनस्पति तेल फसल की तुलना में प्रति भू-क्षेत्र में अधिक तेल का उत्पादन करती है।
पाम ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम–
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम ऑयल (NMEO-OP) की घोषणा की गयी है। इसके तहत मिनी मिशन-II (MM-II) पाम ऑयल क्षेत्र के विस्तार और उत्पादकता में वृद्धि पर केंद्रित है।
- केंद्र प्रायोजित पाम ऑयल विकास योजना भी आरंभ की गयी है।
स्रोत –द हिन्दू