प्रोजेक्ट-75 इंडिया (P-75I) पनडुब्बी परियोजना
हाल ही में रूस ने प्रोजेक्ट-75 इंडिया (P-75I) पनडुब्बी परियोजना से स्वयं को अलग कर लिया है।
रूस का कहना है कि प्रोजेक्ट-75I के तहत छह आधुनिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए ‘अनुरोध प्रस्ताव (RFP) में निर्धारित शर्तों को पूरा करना मुश्किल है।
इससे पहले स्वीडन, जर्मनी और फ्रांस भी इस परियोजना से अलग हो चुके हैं।
इस परियोजना के लिए भारतीय नौसेना द्वारा निर्धारित आवश्यकताएं हैं:
- प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण;स्टील्थ प्रौद्योगिकी; शक्तिशाली मिसाइलों से लैस अत्याधुनिक पनडुब्बियां आदि।
- फिलहाल, दुनिया में ऐसी पनडुब्बी का कोई प्रोटोटाइप उपलब्ध नहीं है। इन पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। परियोजना समय पर पूरी नहीं होने की स्थिति में मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) को उच्च अर्थदंड का भुगतान करना होगा।
P-75I के बारे में
वर्ष 1999 में सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बियों के स्वदेश में निर्माण को मंजूरी दी थी। इन्हें वर्ष 2030 तक नौसेना में शामिल किया जाना था ।
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम (AIP)
इस तकनीक की वजह से एक पारंपरिक पनडुब्बी भी सामान्य डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में अधिक समय तक जल के भीतर रह सकती है। दक्षिण कोरिया और जर्मनी के पास यह तकनीक है तथा यह कारगर भी है।
स्रोत – द हिन्दू