जांच एजेंसियों की निगरानी हेतु एक स्वतंत्र निकाय की आवश्यकता
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सभी जांच एजेंसियों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र निकाय की आवश्यकता को रेखांकित किया है ।
इसके साथ ही, मुख्य न्यायाधीश ने अलग-अलग जांच एजेंसियों को एक ही संगठन के अंतर्गत लाने के लिए एक स्वतंत्र अम्ब्रेला संस्थान के गठन का सुझाव दिया है।
प्रस्तावित अम्ब्रेला संस्थान के बारे में:
- इसका गठन एक कानून लाकर किया जा सकता है। इसमें इस एजेंसी की शक्तियाँ, कार्य और क्षेत्राधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित होंगे।
- यह CBI, प्रवर्तन निदेशालय और गंभीर धोखाधड़ी जाँच कार्यालय जैसी विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों को एक ही संगठन के अधीन लाएगा।
- इस संस्थान का प्रमुख एक निष्पक्ष और स्वतंत्र प्राधिकारी होना चाहिए। उसकी नियुक्ति एक समिति द्वारा की जाएगी।
- पूर्ण स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए अभियोजन और जांच तंत्र अलग-अलग होने चाहिए।
भारत में जांच एजेंसियाँ और उनसे जुड़े मुद्दे
- भारत में, कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई केंद्रीय जांच एजेंसियाँ स्थापित की गई हैं।
- लेकिन, इन एजेंसियों को कई मुद्दों का सामना करना पड़ता है, जैसे- जांच के दौरान एजेंसियों को कई कार्यवाहियों से गुजरना पड़ता है। यह व्यवस्था साक्ष्य को कमजोर कर देती है तथा समय के साथ बयानों में विरोधाभास भी आने लगते हैं। इस प्रकार निर्दोष साबित होने में काफी लंबा समय लग जाता है।
- कुछ मामलों में सक्रियता और निष्क्रियता की वजह से इन एजेंसियों की सामाजिक वैधता या विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं।
अन्य मुद्देः इन एजेंसियों का मार्गदर्शन करने के लिए व्यापक कानूनों का अभाव है। इसके अतिरिक्त, भ्रष्टाचार आदि भी अन्य मुद्दे हैं।
स्रोत –द हिन्दू