वन ओशन शिखर सम्मेलन
हाल ही में वन ओशन शिखर सम्मेलन में यूनेस्को ने वर्ष 2030 तक कम से कम 80 प्रतिशत समुद्र तल मापन का संकल्प लिया है।
वन ओशन शिखर सम्मेलन में, यूनेस्को ने घोषणा की है कि वर्ष 2030 तक कम से कम 80 प्रतिशत समुद्र तल का मापन किया जाएगा। वर्तमान में केवल 20 प्रतिशत समुद्र तल (सीबेड) का ही मापन किया गया है। समुद्र-तल मापन को सीबेड इमेजिंग भी कहा जाता है। यह किसी जल निकाय में जल की गहराई का मापन है।
बैथिमेट्रिक सर्वेक्षण किसी जल निकाय की गहराई को मापता है। यह जल के नीचे की स्थलाकृतियों का भी मापन करता है।
वर्ष 2017 में यूनेस्को ने ‘निप्पॉन फाउंडेशन’ के साथ “सीबेड 2030 परियोजना शुरू की थी। यह जापान का एक निजी क्षेत्र का फाउंडेशन है।
इस परियोजना का लक्ष्य वर्ष 2030 तक वैश्विक महासागरीय तल का निश्चित मानचित्र तैयार कर सभी को उपलब्ध करवाना है। इसके लिए सभी उपलब्ध बैथिमेट्रिक डेटा को एकीकृत किया जाएगा।
समुद्र तल मानचित्रण का महत्व
- इससे समुद्र के ग्रंश (फॉल्ट) की स्थिति तथा महासागरीय धाराओं और तरंगों की कार्यप्रणाली समझने में मदद मिलती है। यह तलछट के परिवहन की जानकारी भी प्रदान करता है।
- भूकंपीय और सुनामी के खतरों का पूर्वानुमान लगाकर आबादी की रक्षा की जा सकती है।
- यह ऐसे प्राकृतिक स्थलों की पहचान करता है, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।
- संधारणीय दोहन के लिए मत्स्य संसाधनों की पहचान करता है।
- अपतटीय अवसंरचना के निर्माण की योजना बनाने में मदद करता है। इससे तेल रिसाव, हवाई दुर्घटना और जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने जैसी विपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलती है।
वन ओशन शिखर सम्मेलन के बारे में
- इस सम्मेलन का आयोजन फ्रांस (यूरोपीय संघ की परिषद के अध्यक्ष के रूप में) ने संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के सहयोग से किया था।
- इस सम्मेलन का उद्देश्य स्वस्थ और संधारणीय समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण एवं समर्थन करना है। इसके लिए यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने हेतु एकजुट करने पर लक्षित है।
स्रोत –द हिन्दू