OECD ने 15% वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) के घरेलू कार्यान्वयन के लिए पिलर टू मॉडल नियम जारी किए
हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने 15% वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) के घरेलू कार्यान्वयन के लिए पिलर टू मॉडल नियम जारी किए हैं ।
ये मॉडल नियम, टू-पिलर समाधान (Two-pillar solution) को लागू करने के लिए एक सुस्पष्ट ढांचा प्रदान करते हैं। इनका उद्देश्य सरकारों को अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण और वैश्वीकरण से उत्पन्न होने वाली कर (Tax) चुनौतियों का समाधान करना है।
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 2021 में 137 देशों (भारत सहित) द्वारा टू-पिलर समाधान पर सहमति व्यक्त की गई थी। इसे आधारक्षरण एवं लाभ स्थानांतरण (Base erosion and Profit Shifting: BEPS) पर आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)/जी20 द्वारा निर्मित समावेशी ढांचे के तहत अपनाया गया था।
- BEPS का उपयोग, कर नियोजन रणनीतियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो विभिन्न अधिकार क्षेत्रों के करनियमों के मध्य विद्यमान असंगतता एवं अंतराल का लाभ उठाते हैं।
- मॉडल नियम, वैश्विक आधार क्षरण-रोधी (GIoBE) नियमों के लिए तंत्र निर्धारित करते हैं। ये नियम, वर्ष 2022 में घरेलू कानून में GIoBE नियमों को समाविष्ट करने के लिए देशों की सहायता करेंगे।
- GIoBE नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बड़े बहुराष्ट्रीय उद्यम (Multinational Enterprises: MNEs) समूह उस प्रत्येक क्षेत्राधिकार में अर्जित होने वाली आय परकर के इस न्यूनतम स्तर का भुगतान करेंगे, जिसमें वे परिचालन करते हैं।
- जब भी प्रभावी कर दर न्यूनतम 15 की दर से कम होगी, ये नियम किसी भी अधिकार क्षेत्र में अर्जित लाभ पर लागू होने के लिए ‘टॉप अप टैक्स’ का निर्धारण करेंगे।
- 750 मिलियन यूरो से अधिक राजस्व वाले MNEs पर GMT लागू होगा। इससे वार्षिक रूप से अतिरिक्त वैश्विक कर राजस्व में लगभग 150 बिलियन डॉलर सृजित होने का अनुमान है।
प्रस्तावित समाधान में दो घटक शामिल हैं:
- पिलर वन यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल कंपनियों सहित बड़े MNEs, जहां वे परिचालन करते हैं और लाभ अर्जित करते हैं, वहां कर का भुगतान करेंगे।
- पिलर टू (Pillar Two) यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि बड़े MMEs वर्तमान में 15 की दर पर कम से कम एक GMT का भुगतान करें। यह भुगतान उस क्षेत्राधिकार से निरपेक्ष होगा, जहां लाभ दर्ज किया जा सकता है।
स्रोत – द हिन्दू