अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
हाल ही में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार को प्राकृतिक प्रयोगों के अन्वेषकों के लिए घोषित किया गया है ।
इस वर्ष का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार तीन अर्थशास्त्रियोंडेविड कार्ड, जोशुआएंनिस्ट और गुइडोइम्बेन्स को प्रदान किया जाएगा। उन्हें आर्थिक नीति और अन्य प्रकरणों के कारण प्रभावों (causal effects) को समझने हेतु प्राकृतिक प्रयोगों के उपयोग में अग्रणी होने के कारण इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
- प्राकृतिक प्रयोगों में विश्व पर पड़ने वाले प्रभावों का पता लगाने के लिए वास्तविक जीवन की स्थितियों का उपयोग किया जाता है। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो अन्यक्षेत्रों में भी विस्तारित है और अनुभवजन्य अनुसंधान में क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आया है।
- डेविड कार्ड को उनके शोध के लिए पुरस्कार राशि का आधा हिस्सा प्रदान किया जाएगा। उनका शोध कार्य न्यूनतम मजदूरी, अप्रवासन और शिक्षा के श्रम बाजार पर पड़ने वाले प्रभावों पर आधारित था।
- 1990 के दशक के आरंभ से उनके अध्ययन ने पारंपरिक ज्ञान को चुनौती दी और दर्शाया कि यह अनिवार्य नहीं कि न्यूनतम वेतन वृद्धि का परिणाम कम नौकरियों के रूप में परिलक्षित हो।
- पुरस्कार-राशि का शेष आधा हिस्सा जोशुआएंग्रिस्ट और गुइडोइम्बेन्स द्वारा उन मुद्दों का अध्ययन करने हेतु एक रूपरेखा के निर्माण के लिए साझा किया जाएगा, जो पारंपरिक वैज्ञानिक तरीकों पर विश्वास नहीं कर सकते हैं।
- एक प्राकृतिक प्रयोग से आंकड़ों की व्याख्या करना कठिन है। उदाहरण के लिए, छात्रों के एक समूह हेतु (किंतु दूसरेसमूह के लिए नहीं) अनिवार्य शिक्षा को एक वर्ष तक बढ़ाने से उस समूह के सभी सदस्यों पर समान प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- उन्होंने इस पद्धतिगत समस्या को यह प्रदर्शित करते हुए हल किया कि प्राकृतिक प्रयोगों से कारण और प्रभाव के बारे में सटीक निष्कर्ष किस प्रकार प्राप्त किए जा सकते हैं।
- वर्ष 1901 में प्रथम नोबेल पुरस्कार से लेकर वर्ष 1988 तक यह पुरस्कार मूलतः 5 श्रेणियों में ही प्रदान किया जाता था।
- अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार बहुत बाद में वर्ष 1968 में स्थापित किया गया था। अर्थशास्त्र का प्रथम नोबेल पुरस्कार वर्ष 1969 में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रदान किया गया था।
- इस पुरस्कार की स्थापना स्वीडन के केंद्रीय बैंक, स्वेरिगेसरिक्सबैंक (Sveriges Riks bank) द्वारा दिए गए दान पर अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में की गई थी।
स्रोत –द हिन्दू