अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार 2022 की घोषणा
हाल ही में वर्ष 2022 के लिए अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई है ।
अर्थशास्त्र में वर्ष 2022 का स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार बेन एस. बर्नानके, डगलस डब्ल्यू, डायमंड और फिलिप एच. डायबविग को दिए जाने की घोषणा की गई है।
इन तीन अर्थशास्त्रियों को यह पुरस्कार ‘बैंकों और वित्तीय संकट’ पर शोध के लिए दिया जा रहा है।
इन अर्थशास्त्रियों के विश्लेषण वित्तीय बाजारों को विनियमित करने और वित्तीय संकटों से निपटने में बहुत व्यावहारिक महत्व रखते हैं।
तीनों अर्थशास्त्रियों के शोधों के मुख्य निष्कर्षः
- बर्नानके के अनुसार, बैंकों की विफलता के कारण वित्तीय संकट उत्पन्न हुआ था। इसके अतिरिक्त, ‘बैंक रन’ 1930 के दशक की महामंदी का प्रमुख कारण था।
- बैंक रन की स्थिति तब पैदा होती है, जब जमाकर्ता बैंक के अस्तित्व के बारे में चिंतित हो उठते हैं और वे बैंकों से अपनी बचत की राशि वापस निकालने लगते पहले यह माना जाता था कि वित्तीय संकट की वजह से बैंक विफल होते हैं।
- समाधान के रूप में, डायमंड और डायबविग ने कहा कि ‘जमा राशि का बीमा’ संबंधी प्रावधान विश्वास बनाए रखने और बैंक रन को रोकने का एक महत्वपर्ण साधन है।
- ‘जमा राशि के बीमा’ के तहत किसी बैंक में जमा राशि की एक निश्चित राशि का बीमा किया जाता है।
- बैंक रहित विश्व में, “बचतकर्ताओं और निवेशकों की जरूरतों के बीच संघर्ष के कारण दीर्घकालिक निवेश करना असंभव होगा।
- अप्रत्याशित खर्चों की स्थिति में बचतकर्ता अपनी जमा राशि तुरंत निकालना चाहते हैं। इसे ‘नकदी (लिक्विडिटी) की आवश्यकता’ भी कहा जाता है। वहीं, कर्ज लेने वालों को अधिक लंबी अवधि के लिए धन की आवश्यकता होती है।
- बैंक इस विपरीत स्थिति को ‘मैच्योरिटी ट्रांसफॉर्मेशन’ के माध्यम से हल करने में सक्षम होते हैं।
- ‘मैच्योरिटी ट्रांसफॉर्मेशन’ एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकेतहत बैंक एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है। वह दीर्घकालिक परिपक्वता वाली परिसंपत्तियों को कम परिपक्वता वाले बैंक खातों में बदल देता है।
आपको विदित हो कि अन्य पुरस्कारों के विपरीत अर्थशास्त्र में पुरस्कार की स्थापना अल्फ्रेड नोबेल की वर्ष 1895 की वसीयत में नहीं, बल्कि उनकी स्मृति में स्वीडिश केंद्रीय बैंक द्वारा की गई थी, इसका पहला विजेता वर्ष 1969 में चुना गया था।
स्रोत – द हिन्दू