वर्ष 2014 से पहले के मामलों में भी भ्रष्ट लोक सेवकों को गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक पीठ ने 11 सितंबर, 2023 को कहा कि 2014 में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी मामले में दिया गया उसका फैसला पूर्व प्रभाव से लागू (2014 से पहले के मामले में भी) होगा। अर्थात 2014 से पहले के भ्रष्टाचार के मामलों पर भी उसका निर्णय लागू होगा।
पृष्ठभूमि:
- विदित हो कि वर्ष 2014 में संविधान पीठ ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE) की धारा 6A के प्रावधान को अमान्य घोषित कर दिया गया था ।
- इसके तहत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को संयुक्त सचिव और उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता होती थी । इससे ऐसे अधिकारियों को प्रारंभिक जांच का सामना करने से भी छूट मिल जाती थी।
- सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ वाद (2014) में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया था । शीर्ष न्यायालय का मानना था कि, यह प्रावधान अनुच्छेद 14 के ‘समानता के अधिकार’ का उल्लंघन करता है।
- अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम की धारा 6A को अमान्य करने वाला निर्णय इस प्रावधान के जोड़े जाने के दिन (11 सितंबर, 2003) से ही लागू होगा।
- धारा 6A मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, और एक बार जब किसी कानून को संविधान के भाग-III (मौलिक अधिकारों) का उल्लंघन करते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया जाता है, तो ऐसे कानून को शुरू से ही अमान्य जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का मतलब यह है कि पूर्व मंजूरी की आवश्यकता को अमान्य करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीख से पहले भी भ्रष्टाचार के मामलों में शामिल वरिष्ठ सरकारी अधिकारी अब उपर्युक्त प्रावधान के छूट का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुख्य बिंदु:
- DSPE अधिनियम की धारा 6A को असंवैधानिक घोषित करने से अनुच्छेद 20 (1) प्रभावित नहीं होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अनुच्छेद 20 (1) आपराधिक अभियोजन में प्रक्रियात्मक परिवर्तनों को पूर्व–प्रभाव से लागू करने पर प्रतिबंध नहीं लगाता है।
- अनुच्छेद 20 (1) के अनुसार कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक दोषसिद्ध नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करने के समय, उस समय लागू किसी कानून का कथित तौर पर उल्लंघन नहीं किया हो ।
DPSE अधिनियम 1946 के बारे में
- इसे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए लागू किया गया है।
- CBI को किसी मामले की जांच करने की शक्ति इसी अधिनियम से प्राप्त होती है।
स्रोत – द हिन्दू