निसार: इसरो और नासा का संयुक्त पृथ्वी-निगरानी मिशन
नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह – निसार
अमेरिकी राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) द्वारा ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह-निसार’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar satellite-NISAR) को विकसित करने हेतु संयुक्त रूप से कार्य किया जा रहा है।
निसार:
इसको आंध्र-प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से वर्ष 2022 में एक ध्रुवीय कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा।
तीन वर्षीय यह मिशन प्रत्येक 12 दिनों में पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्रों, गतिशील सतहों और बर्फ समूहों का अवलोकन करेगा और बायोमास, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों सहित, समुद्र के स्तर में वृद्धि और भूजल से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराएगा।
यह दोहरी आवृत्तियों का उपयोग करने वाला पहला रडार इमेजिंग उपग्रह होगा। यह उपग्रह, टेनिस कोर्ट के आधे आकार के किसी भी क्षेत्र में ग्रह की सतह से 4 इंच की ऊंचाई पर किसी भी गतिविधि का पता लगाने में सक्षम होगा।
नासा, मिशन के एल-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर), वैज्ञानिक डेटा जीपीएस रिसीवर के लिए एक उच्च क्षमता का दूरसंचार उपतंत्र, एक ठोस रिकॉर्डर और एक भार विवरण उपतंत्र प्रदान करेगा।
इसरो उपग्रह बस, एक एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार, प्रक्षेपण यान और संबंधित प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान करेगा।
निसार के लाभ:
इसके द्वारा एकत्र किए गए डेटा से पृथ्वी की भू-पर्पटी के विकास और स्थिति से सम्बंधित जानकारी सामने आएगी, जिससे वैज्ञानिकों को हमारे ग्रह की प्राकृतिक प्रक्रियाओं और बदलती जलवायु को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
इसकी सहायता से भविष्य के संसाधन और खतरनाक आपदाओं के प्रबंधन में सहायता मिलेगी।
सिंथेटिक एपर्चर रडार:
सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR), मुख्यतः उच्च विभेदन छवियां (High-Resolution Images) खींचने की तकनीक से सम्बंधित है। अपनी उच्च सटीकता की वजह से यह रडार बादलों और अंधेरे को भेद सकने में सक्षम है।
यह हर मौसमीय परिस्थितियों में हर समय आंकड़े एकत्र करने में सक्षम होता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस