प्रशांत महासागर से एक नए द्वीप का उद्भव
हाल ही में नासा की पृथ्वी वेधशाला के अनुसार दक्षिण प्रशांत महासागर में एक नए द्वीप का निर्माण हुआ है।
इस द्वीप की उत्पत्ति टोंगा (होम रीफ) के निकट जल के नीचे एक ज्वालामुखी उद्गार (eruption) से लावा के निकलने तथा उसके समुद्र सतह के ऊपर आ जाने के बाद हुई है।
होम रीफ, टोंगा-केरमाडेक सब्डक्शन जोन का हिस्सा है। यहां तीन विवर्तनिक प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं और समुद्र के नीचे के ज्वालामुखियों के लिए एक सक्रिय क्षेत्र का निर्माण करती हैं।
नए भूखंड का आकार तेजी से बढ़कर एक एकड़ से आठ एकड़ से अधिक हो गया है। इससे पहले, वर्ष 1852, 1857, 1984 और 2006 में सागरों के नीचे ज्वालामुखी उद्गार हुए थे। प्रत्येक उद्गार से नए द्वीप का निर्माण हुआ था।
जल के भीतर ज्वालामुखीय गतिविधि द्वारा निर्मित द्वीपों के बारे में
- निर्माण की प्रक्रियाः अधिकांश ज्वालामुखीय द्वीपों का निर्माण समुद्र नितल (Seafloor) पर ज्वालामुखीय उद्गार से निकलने वाले शांत लावा प्रवाह (Passive Lava Flows) से हुआ है।
- यह शांत लावा प्रवाह कठोर होकर चट्टान बन जाता है और लाखों वर्षों में जल के नीचे जमा होते हुए पर्वत की तरह ऊंचा होता जाता है।
- अंततः कुछ ज्वालामुखी समुद्र नितल से अधिक ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं, जहां निम्न दबाव की वजह से विस्फोटक उद्गार होता है।
- सागरीय ज्वालामुखी, जो समुद्र तल (sea level) तक नहीं पहुंचते हैं, उन्हें समुद्री पर्वत (Seamount) कहा जाता है।
- नासा के अनुसार, जल के भीतर ज्वालामुखीय गतिविधि द्वारा निर्मित द्वीप वर्षों तक मौजूद रह सकते हैं। हालांकि, आम तौर पर इनका अस्तित्व लंबे समय तक नहीं रहता है ।
- ज्वालामुखीय द्वीप पारिस्थितिकी तंत्रः चूंकि, वे एक अलग-थलग परिस्थितियों में विकसित होते हैं, इसलिए वहां के कई जीवों को स्थानिक (एंडेमिक) प्रजाति माना जाता है।
प्रशान्त महासागर–
- प्रशान्त महासागर अमेरिका और एशिया को पृथक करता है। यह विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा महासागर है।
- तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में जमीन का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है।
- प्रशांत महासागर में मेरियाना गर्त (Mariana Trench) पश्चिमी मारियाना द्वीप समूह से लगभग 200 किलोमीटर पूर्व में स्थित है, और यह दुनिया की सबसे गहरी प्राकृतिक गर्त /खाई है।
- प्रशांत महासागर में द्वीपों के तीन प्रमुख समूह हैं: मेलानेशिया, माइक्रोनेशिया और पोलिनेशिया।
स्रोत – द हिन्दू