खाद प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की सहायक कंपनी का लोकार्पण
हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने खाद प्रबंधन के लिए ‘राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड’ (NDDB) की सहायक कंपनी का लोकार्पण किया है ।
NDDB ने मृदा (MRIDA) लिमिटेड का गठन किया है। यह NDDB की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो देश भर में खाद प्रबंधन पहल के क्षेत्र में कार्य करेगी।
यह एक असूचीबद्ध पब्लिक लिमिटेड कंपनी है। इसकी स्थापना NDDB ने 1 जुलाई, 2022 को कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत की है।
यह डेयरी संयंत्रों के लिए खाद मूल्य श्रृंखला तथा बायोगैस आधारित CNG और बायोगैस आधारित ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित करेगी।
खाद प्रबंधन वह प्रक्रिया है, जिसमें पशुओं का गोबर प्राप्त कर उसे संग्रह किया जाता है। तत्पश्चात उसे उपचारित करके उसका उपयोग किया जाता है।
खाद एक किफायती और मूल्यवान उर्वरक है। इसमें अलग-अलग मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जैसे-नाइट्रोजन और फास्फोरस, सूक्ष्म पोषक तत्व तथा कार्बनिक पदार्थ।
कुशल खाद प्रबंधन दुधारू पशुओं के उत्पादक आर्थिक जीवन चक्र को दुग्ध उत्पादन से आगे ले जाता है। इससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में भी मदद मिलती है।
कुशल खाद प्रबंधन के निम्नलिखित लाभ भी हैं:
- इसमें भारत की वर्तमान LPG खपत के 50 प्रतिशत के बराबर बायोगैस उत्पन्न करने की क्षमता है।
- इसमें भारत की NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) उर्वरक आवश्यकता के 44 प्रतिशत के बराबर जैव घोल (bio slurry) का उत्पादन करने की क्षमता है
- मवेशियों के अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए गोबरधन योजना भी चलाई जा रही है।
- यह डेयरी किसानों को आय का अतिरिक्त स्रोत प्रदान करके उनकी आजीविका के अवसर को बढ़ाने में भी योगदान देता है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के बारे में
- NDDB शुरू में सोसायटी अधिनियम 1860 के तहत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत था।
- इसे संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड अधिनियम 1987 द्वारा तत्कालीन भारतीय डेयरी निगम में मिला दिया गया था।
- NDDB ने गोबर आधारित जैविक उर्वरकों को सामान्य पहचान दिलाने के लिए “SuDhan” नामक एक ट्रेडमार्क पंजीकृत किया है।
स्रोत –द हिन्दू