राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति
हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति की घोषणा की है।
यह देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जिसमें वर्ष 2030 तक (2020 के स्तर से) आत्महत्या मृत्यु दर में 10% की कमी लाने के लिये समयबद्ध कार्ययोजना और बहु-क्षेत्रीय सहयोग शामिल है।
इसके लिए नीति में समयबद्ध कार्य योजनाओं और बहु- क्षेत्रक सहयोग का आह्वान किया गया है। यह नीति आत्महत्या की रोकथाम के लिए WHO की दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र रणनीति के अनुरूप होगी।
भारत में वर्ष 2021 के दौरान लगभग 1.6 लाख आत्महत्या की घटनाएं दर्ज की गई थी। वर्ष 2021 के आंकड़े वर्ष 2020 की तुलना में 7.2% की वृद्धि दर्शाते हैं।
पारिवारिक समस्याएं और बीमारी इन आत्महत्याओं के प्रमुख कारण रहे हैं।
रणनीति के मुख्य उद्देश्य
अगले तीन वर्षों के भीतर आत्महत्या के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित करना । मनोरोग संबंधी बाह्य रोगी विभागों की स्थापना करना ।
ये विभाग अगले पांच वर्षों के भीतर सभी जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से आत्महत्या रोकथाम सेवाएं प्रदान करेंगे।
अगले आठ वर्षों के भीतर सभी शिक्षण संस्थानों में एक मानसिक कल्याण पाठ्यक्रम को समेकित किया जाएगा।
आत्महत्याओं की जिम्मेदारीपूर्ण मीडिया रिपोर्टिंग के लिए दिशा-निर्देश विकसित करना। इसके अतिरिक्त, आत्महत्या के साधनों तक पहुंच को प्रतिबंधित करना ।
यह रणनीति आत्महत्या की रोकथाम के लिए ‘REDS’ पथ को प्रतिपादित करती है:
- नेतृत्व, साझेदारी और संस्थागत क्षमता को सुदृढ़ (Reinforce) करना ।
- स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता में वृद्धि (Enhance) करना ।
- आत्महत्या की रोकथाम और आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के परिवार को महसूस होने वाली कलंक की भावना को कम करने के लिए सामुदायिक लचीलापन एवं सामाजिक समर्थन विकसित (Develop) करना।
- निगरानी और साक्ष्य निर्माण को मजबूत (Strengthen) करना ।
आत्महत्याओं की स्थिति/ राष्ट्रीय आँकड़े:
भारत में आत्महत्या के कारण प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक जानें जाती हैं और यह 15-29 आयु वर्ग में सबसे अधिक है।
वर्ष 2019-22 में आत्महत्या की दर प्रति 1,00,000 आबादी पर 10.2 से बढ़कर 11.3 हो गई है।
हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने “भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या रिपोर्ट 2021” जारी की है। रिपोर्ट में “महिलाओं के खिलाफ अपराध”, “आत्महत्या” और “अपराध दर” के आँकड़े दिये गए हैं।
आत्महत्या की रोकथाम के लिए की गई पहलें :
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017: MHA 2017 का उद्देश्य मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है।
किरण: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचारों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना करने वाले लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन “किरण (KIRAN)” शुरू की है।
मनोदर्पण पहल: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) (अब शिक्षा मंत्रालय) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मनोदर्पण पहल लॉन्च की। इसका उद्देश्य छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को कोविड-19 के समय में उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना है।
स्रोत – द हिन्दू