राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021
- प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवसमनाया जाता है। पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस वर्ष 1987 में मनाया गया था।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य मानव जीवन में विज्ञान के महत्व और इसके अनुप्रयोग का संदेश फैलाना है।
- ज्ञात हो कि सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा रमन प्रभाव ’की खोज करने की स्मृति में प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
- वेंकट रमन को उनके इस कार्य के लिये वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया भी गया था।
- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021 की थीम ‘फ्यूचर ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन: इम्पैक्ट ऑन एजुकेशन स्किल्स एंड वर्क’ है.
सी.वी. रमन
- डॉ. सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु में हुआ । इन्होने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर किया था।
- विज्ञान के क्षेत्र में इन्होने रमन प्रभाव के अलावा भी कई वैज्ञानिक खोजें की । उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया ।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021 की थीम, फ्यूचर ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन: इम्पैक्ट ऑन एजुकेशन स्किल्स एंड वर्क “(एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव”) को इस बार सार्वजनिक प्रशंसा बढ़ाने के उद्देश्य से चुना गया है
- प्रतिवर्ष इसका आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद द्वारा किया जाता है।
- इस अवसर पर नेशनल एस एंड टी कम्युनिकेशन अवार्ड्स, ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (AWSAR) अवार्ड्स, एसईआरबी वुमन एक्सीलेंस अवार्ड्स तथा विज्ञान मीडिया और पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य हेतु राजेंद्र प्रभु मेमोरियल एप्रिसिएशन शील्ड का वितरण किया गया।
- भारत में एस एंड टी अवार्ड् और विदेश में भारतीय मूल के शिक्षाविदों पर पहली बार राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस जारी किया गया।
- AWSAR एक पहल है जिसका उद्देश्य भारतीय अनुसंधान से संबंधित कहानियों को आम जनता के समझने हेतु आसान प्रारूप में प्रसारित करना है।
रमन प्रभाव
- जब एक रंग का प्रकाश पुंज एक पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरता है, तो वह बिखर जाता है. रमन ने इस बिखरे हुए प्रकाश का अध्ययन किया.
- उन्होंने देखा कि पानी में डाली गई एक प्रमुख प्रकाश की रेखा के समानान्तर दो बहुत कम चमक वाली रेखाएँ दृष्टिगोचर होती हैं. इससे यह ज्ञात होता है यद्यपि पानी में डुबोया गया प्रकाश एकवर्णी था परंतु बिखरा हुआ प्रकाश एकवर्णी नहीं था.
- इस प्रकार प्रकृति का एक बहुत बड़ा रहस्य उनके समक्ष उद्घाटित हो गया. यह परिवर्तनरमन प्रभावके नाम से ही प्रसिद्ध हो गया और बिखरे हुए प्रकाश की विशेष रेखाएँ भी ‘रमन रेखाएँ’ के नाम से प्रसिद्ध हो गईं.
- यद्यपि वैज्ञानिक इस प्रश्न पर विवाद करते रहे हैं कि क्या प्रकाश लहरों के समान हैं अथवा कणों के? लेकिन रमन प्रभाव ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रकाश छोटे-छोटे कणों से मिल कर बनता है जिन्हेंफोटोनकहा जाता है.
स्रोत – पीआईबी