राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (NMSC)
हाल ही में भारत ने पहले राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (National Maritime Security Coordinator: NMSC) की नियुक्ति की है।
भारत में एक राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक (NMSC) की नियुक्ति 26/11 के आतंकवादी हमलों (वर्ष 2008) के बाद से प्रस्तावित है।
NMSC, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का हिस्सा होगा। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को रिपोर्ट करेगा।
कारगिल ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने भी इसकी सिफारिश की थी। इस प्रकार भारत को लंबे समय से NMSC की आवश्यकता रही है।
भूमिका
- यह समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर भारत सरकार का प्रधान सलाहकार होगा।
- यह भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, तटीय और समुद्री सुरक्षा में शामिल सुरक्षा एजेंसियों तथा 13 तटीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगा।
- वर्तमान में, इन एजेंसियों द्वारा कभी-कभी एक दूसरे के अधिकार क्षेत्रों में हस्तक्षेप कर दिया जाता है। इससे इनके कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
भारतीय समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित करने की आवश्यकता क्यों है:
- भारत के पास 7000 कि.मी. से अधिक लंबी समुद्री तट रेखा और 20 लाख वर्ग कि.मी. से अधिक का अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) है। इस प्रकार भारत सदियों से भारत की सुरक्षा एवं समृद्धि में समुद्री क्षेत्र की केंद्रीय भूमिका की अनदेखी करता रहा है।
- महत्वपूर्ण कच्चे तेल सहित 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय व्यापार समुद्र के माध्यम से होता है।
- चीन समुद्र आधारित सुरक्षा सिद्धांत का पालन कर रहा है। वह पाकिस्तान और म्यांमार के माध्यम से हिंद महासागर में प्रवेश कर रहा है।
समुद्री सुरक्षा के लिए अन्य उपाय
- क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर/SAGAR) पहल- प्रधान मंत्री द्वारा प्रतिपादित हिंद महासागर नीति का विषय है।
- व्हाइट शिपिंग समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसकेअलावा, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) पर समझौते भी संपन्न किए गए हैं।
- कोविड काल में ऑपरेशन सागर-1और सागर 2 के माध्यम से तटीय निगरानी रडार प्रणाली और चिकित्सा आपूर्ति की व्यवस्था की गयी है।
- समग्र सुरक्षा प्रदाता- समुद्री डकैती रोधी और समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए भारतीय नौसेना एवं तटरक्षक बलों ने पोतों की तैनाती की है।
स्रोत –द हिन्दू