प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की पीठ गठित करने पर विचार
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की पीठ गठित करने पर विचार करने को कहा है।
- सुप्रीम कोर्ट NGT अधिनियम, 2010 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में NGT एक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गयी है।
- NGT की विशेष पीठ स्थापित करने की शक्ति केंद्र सरकार में निहित है, और NGT के आदेश के विरुद्ध एकमात्र अपीलीय मंच सुप्रीम कोर्ट ही है।
- सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि न्याय तक पहुंच के सिद्धांत के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा के विचार को ध्यान में रखने हुए, केंद्र सरकार NGT की और अधिक क्षेत्रीय पीठे स्थापित कर सकती है।
- वर्तमान में NGT की पाँच क्षेत्रों (five zones) – उत्तर, मध्य, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में पाँच पीठ स्थापित की गयी हैं।
- NGT की प्रमुख पीठ (Principal Bench) उत्तर क्षेत्र में स्थित है, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है।
अधिक क्षेत्रीय पीठों के लाभः
- इससे मौजूदा पीठों का कार्यभार कम होगा।
- इसके चलते और अधिक संख्या में लोग पर्यावरण की रक्षा करने के लिए प्रेरित होंगे।
- इससे नागरिकों के लिए पर्यावरणीय न्याय पाना सुलभ होगा।
NGT के बारे में:
- NGT की स्थापना “राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी।
- यह एक सांविधिक और अर्ध-न्यायिक निकाय है।
- इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामलों (cases) का प्रभावी और शीघ्र निपटान करना है।
- यह सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (Code of Civil Procedure, 1908) या भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act, 1872) के प्रावधानों से बाध्य नहीं है।
- यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए मामलों का निपटारा करता है।
NGT का अधिकार क्षेत्रः
यह पर्यावरण से संबंधित सात कानूनों के तहत दीवानी मामले पर सुनवाई करता है।
ये सात कानून निम्नलिखित हैं:
- जल (प्रदूषण रोकथाम तथा नियंत्रण) अधिनियम,1974
- जल (प्रदूषण रोकथाम तथा नियंत्रण) उपकर अधिनियम, 1977
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
- वायु (प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम,1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- पब्लिक लायबिलिटी बीमा अधिनियम, 1991
- जैव विविधता अधिनियम, 2002
स्रोत –द हिन्दू