राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM)को मंजूरी
- हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) को मंजूरी प्रदान कर दी है।
- NGHM का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के उत्पादन, उपयोग तथा निर्यात का वैश्विक हब बनाना है। मिशन की प्रारंभिक परिव्यय राशि 19,744 करोड़ रुपये है।
- ग्रीन हाइड्रोजन को नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित किया जाता है।
- कुल परिव्यय में से 17,490 करोड़ रुपये साइट / SIGHT (स्ट्रेटेजिक इंटरवेंशंस फॉर ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन) कार्यक्रम को आवंटित किए गए हैं।
SIGHT कार्यक्रम के तहत दो विशेष वित्तीय प्रोत्साहन तंत्रों का प्रावधान किया गया है।
- ये हैं- इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू विनिर्माण को लक्षित करना तथा ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना ।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय योजना के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करेगा ।
NGHM की विशेषताएं
निम्नलिखित के लिए एक सक्षम नीतिगत कार्यक्रम विकसित किया जाएगा:
- ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना का समर्थन करने के लिए,
- मजबूत मानक और विनियमन संरचना के विकास के लिए,
- अनुसंधान और विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (स्ट्रेटेजिक हाइड्रोजन इनोवेटिव पार्टनरशिप – SHIP) हेतु इत्यादि ।
- मिशन के तहत एक समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।
वर्ष 2030 तक इस मिशन से निम्नलिखित संभावित परिणाम प्राप्त होने की उम्मीद है:
- प्रति वर्ष कम-से-कम 5 MMT (मिलियन मीट्रिक टन) की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास होगा।
- देश में अक्षय ऊर्जा क्षमता में लगभग 125 GW की वृद्धि होगी ।
- वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 MMT की कमी होगी।
- जीवाश्म ईंधन के आयात में 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक की संचित कमी आएगी।
केंद्र सरकार के मुताबिक राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे, जैसे-
- ग्रीन हाइड्रोजन और इसके सहायक उत्पादों के लिए निर्यात के अवसर पैदा होंगे;
- औद्योगिक, आवागमन और ऊर्जा क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी;
- आयातित जीवाश्म ईंधन और इसके फीडस्टॉक पर निर्भरता में कमी आएगी;
- स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं का विकास होगा;
- रोजगार के अवसर पैदा होंगे; और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास होगा।
स्रोत – पी.आई.बी.