राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) पात्रता निर्धारण
हाल ही में केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के क्रियान्वयन के 8 वर्षों में वास्तविक रूप में प्रति व्यक्ति आय 33.4% बढ़ी है।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में NFSA, 2013 के लाभार्थियों को फिर से निर्धारित करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाने के लिए कहा है।
केंद्र सरकार ने प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का हवाला देकर परिवारों के कम अभावग्रस्त होने को रेखांकित करने का प्रयास किया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को 10 सितंबर, 2013 में अधिसूचित किया गया था।
- इसका उद्देश्य गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
कवरेज:
- लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत ग्रामीण आबादी की 75 प्रतिशत और शहरी आबादी की 50 प्रतिशत आबादी को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना।
- आबादी संबंधी आंकड़े वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित हैं।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) समग्र तौर पर देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है।
- केंद्र सरकार लाभार्थियों की पहचान के लिए मानदंड निर्धारित करती है। इसके अनुसरण में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश लाभार्थियों की पहचान करते हैं।
- लाभार्थियों को शामिल करने और बाहर करने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों पर है।
पात्रता:
- राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत आने वाले प्राथमिकता वाले परिवार।
लाभार्थियों की दो श्रेणियां हैं :
- अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के लाभार्थी और प्राथमिकता वाले परिवार (PHH)लाभार्थी।
- PHH श्रेणी का प्रत्येक व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त करने का हकदार है। वहीं AAY के पात्र प्रत्येक परिवार को प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है।
- राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से लाभार्थी परिवार की सबसे बड़ी महिला सदस्य (18 वर्ष या उससे अधिक)को ‘परिवार की मुखिया’ माना जाता है।
- यह नकद अंतरण जैसी योजनाओं सहित लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) में सुधार का भी प्रावधान करता है।
स्रोत – द हिन्दू