राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) रिपोर्ट
हाल ही में जारी की गई ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डेटा के अनुसार सम्पूर्ण भारत की जेलों में बंद कैदियों में से 75 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं, जो एक दशक में सर्वाधिक है ।
इस रिपोर्ट के अन्य बिंदु:
- दोषियों की संख्या में कमी के बावजूद, वर्ष 2020 में विचाराधीन कैदियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप विचाराधीन कैदियों की संख्या जेल में बंद कुल कैदियों के तीन-चौथाई से अधिक हो गई है।
- कोविड-19 महामारी के कारण कैदियों की न्यायपालिका तक पहुंच कठिन रही थी। हालांकि, वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में जमानत पर रिहा किए जाने के कारण विचाराधीन कैदियों की संख्या में 26 लाख की कमी आई है।
- एक विचाराधीन कैदी उसे कहते हैं, जिसे अभी दोषसिद्ध नहीं किया गया है और उस पर न्यायालय में मुकदमा चल रहा है।
- भारत में विचाराधीन कैदियों की संख्या अधिक होने के कारण, जेलों में अत्यधिक भीड़भाड़, चिकित्सा में देरी, अस्वच्छ स्थितियां और कुपोषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
विचाराधीन कैदियों की संख्या में वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं:
- आबादी की तुलना में न्यायाधीशों का कम अनुपात,
- जांच प्रक्रिया में देरी,
- सरकारी वकीलों की कमी,
- अधिकांश विचाराधीन कैदी गरीब, अनपढ़ और वंचित समुदायों से संबंधित हैं आदि।
सुधार के लिए किए गए उपाय:
- फास्ट ट्रैक न्यायालयों (FTCs) की स्थापना की गयी है।
- जेल प्रबंधन में दक्षता लाने के लिए ई-जेल परियोजना आरंभ की गयी है।
- मॉडल जेल मैनुअल 2016, जेल में कैदियों के लिए उपलब्ध कानूनी सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
- जमानत के आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने “फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स” (FASTER) योजना शुरू की है।
- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) विचाराधीन कैदियों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं प्रदान कर रहा है।
स्रोत –द हिन्दू