“वन्य और वन शहद” पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन महासंघ (ट्राइफेड/TRIFED) ने “वन्य और वन शहद” पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है ।
- इस सम्मेलन का आयोजन कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के सहयोग से किया गया था।
- इस सम्मेलन का उद्देश्य वन और वन्य शहद के उत्पादन तथा शहद संग्रह का कार्य करने वाले आदिवासियों के बारे में जागरूकता पैदा करना था।
- वन्य और वन शहद विश्व भर में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले स्वीटनर में शामिल है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह काफी लाभदायक है।
- शहद पोषण का एक स्रोत है। साथ ही, यह अपने एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए भी जाना जाता है। यह आयुर्वेद, सिद्ध आदि जैसी कई पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के आधार के रूप में भी कार्य करता है।
- मधुमक्खी पालन से शहद के अलावा अन्य उच्च मूल्य के कई उपोत्पाद भी प्राप्त होते हैं। इनमें शामिल हैं- मधुमोम, मधुपराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली, मधुमक्खी का विष आदि ।
- शहद के उत्पादक तथा निर्यातक देशों में भारत का स्थान क्रमशः 8वां और 9वां है। वर्ष 2013-14 से वर्ष 2019-20 (आर्थिक सर्वेक्षण) के बीच शहद के निर्यात में लगभग 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
शहद उत्पादन को बढ़ावा देने संबंधी पहले
- कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन योजना आरंभ की है।
- खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने हनी मिशन , कार्यक्रम आरंभ किया है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय ने पारंपरिक उद्योगों के उन्नयन एवं पुनर्निर्माण के लिए कोष योजना (स्फूर्ति) (Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries: SFURTI) शुरू की है।
स्रोत –द हिन्दू