‘राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन’ (NCGM) का शुभारंभ
हाल ही में वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने के लिए ‘राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन’ (NCGM) का शुभारंभ किया गया है
कोयला गैसीकरणकोयले को संश्लेषण गैस (जिसे सिनगैस भी कहा जाता है) में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। यह हाइड्रोजन (H2). कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का मिश्रण है।
भारत में कोयला गैसीकरण की आवश्यकता
- पर्यावरण अनुकूलः कोयले के दहन की तुलना में कोयला गैसीकरण को स्वच्छ विकल्प माना जाता है।
- एकाधिक अनुप्रयोगः कोयला गैसीकरण से उत्पादित सिनगैस का उपयोग सिंथेटिक प्राकृतिक गैस (SNO), ऊर्जा इंधन (मेथनॉल और इथेनॉल), उर्वरकों एवं पेट्रो-रसायनों के लिए अमोनिया के उत्पादन में किया जा सकता है।
- ये उत्पाद आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद करेंगे।
- अप्रयुक्त भंडार का दोहन करने हेतु: भारत के अधिकांश ज्ञात कोयला भंडार का दोहन नहीं किया जा सकता। भूमिगत कोयला गैसीकरण उन प्रचुर भंडारों का निष्कर्षण करने में मदद कर सकता है जो गहरे, बिखरे हुए और वनों से आच्छादित हैं।
मिशन के प्रमुख घटक:
- विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत में कोयला क्षेत्रों की गैसीकरण क्षमता का मानचित्रण,
- विभिन्न फीडस्टॉक (राख की कम मात्रा वाला कोयला, पेट कोक के साथ मिश्रित कोयला और उच्च राख युक्त कोयला) के लिए उपयुक्त देशज प्रौद्योगिकी का विकास,
- विभिन्न परियोजनाओं की स्थापना के लिए उपयुक्त व्यवसाय मॉडल का विकास,
- अंतिम उत्पादों के लिए विपणन रणनीति,
- विभिन्न हितधारक मंत्रालयों के साथ समन्वय,
- विभिन्न कंपनियों को मात्रात्मक लक्ष्य प्रदान करना और गतिविधियों के कार्यान्वयन की निगरानी करना। अनुशंसित किए गए प्रमुख प्रोत्साहन/नीति समर्थक – कोयला गैसीकरण हेतु खपत और/या विक्रय किए गए कोयले की मात्रा पर 400 रुपये प्रति टन जी.एस.टी. प्रतिपूर्ति उपकर की छूट।
- कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए 15 वर्षों के लिए कर मुक्त अवधि,
- पूंजीगत उपकरणों की खरीद के लिए सब्सिडी,पर ब्याज दर अनुदान प्रदान किया जा सकता है आदि।
स्रोत –द हिन्दू