राष्ट्रीय एड्स और एस.टी.डी. नियंत्रण कार्यक्रम को वर्ष 2026 तक बढ़ाने की मंजूरी

राष्ट्रीय एड्स और एस.टी.डी. नियंत्रण कार्यक्रम को वर्ष 2026 तक बढ़ाने की मंजूरी

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय एड्स और एस.टी.डी. नियंत्रण कार्यक्रम (National AIDS and STD Control Programme: NACP) को वर्ष 2026 तक बढ़ाने की मंजूरी दी है।

  • मंत्रिमंडल ने NACP के पांचवें चरण को मंजूरी दी है। इस प्रकार, अब इस कार्यक्रम को अगले पांच साल (1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2028) तक जारी रखा जाएगा। यह कार्यक्रम पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
  • NACP को वर्ष 1992 में शुरू किया गया था। उसके बाद से अब तक इसके चार चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।
  • NACP का पांचवां चरण, भारत को एड्स महामारी की रोकथाम में और सक्षम बनाएगा। साथ ही, यह चरण संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य संख्या3 (SDG 3.3) को प्राप्त करने की दिशा भी में एक कदम है।
  • ज्ञातव्य है कि SDG 3.3, वर्ष 2030 तक एच.आई.वी./एड्स महामारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने की कल्पना करता है। O NACP को भारत में एच.आई.वी./एड्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में लागू किया जा रहा है।
  • समय के साथ, इस कार्यक्रम के स्वरूप में बदलाव किया जाता रहा है। अब मुख्य बल जागरूकता बढ़ाने की जगह व्यवहार परिवर्तन पर और राष्ट्रीय स्तरीय उपायों की बजाय विकेन्द्रीकृत उपायों पर दिया जा रहा है।
  • इनके अलावा, गैर-सरकारी संगठनों और एच.आई.वी. पीड़ितों (People Living with HIV: PLHIV) के नेटवर्क की भागीदारी बढ़ाने पर भी बल दिया जा रहा है।
  • NACP को एक सफल कार्यक्रम माना गया है।

इसकी पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों से होती है :

  • भारत में वार्षिक स्तर पर एच.आई.वी. के नए संक्रमणों में 48% की गिरावट आई है (आधार वर्ष – 2010)।
  • एड्स से जुड़ी मौतों में वार्षिक आधार पर 82% की गिरावट आई है (आधार वर्ष – 2010)।
  • भारत में एच.आई.वी. का संक्रमण दर कम बना हुआ है। वयस्कों में एच.आई.वी. की संक्रमण दर केवल22% है।

HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस) और एड्स के बारे में

  • एच.आई.वी. एक वायरस है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम) का कारण बन सकता है।
  • यह व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को टारगेट करता है। इसके चलते कई संक्रमणों एवं कुछ प्रकार के कैंसर के खिलाफ लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। जबकि, ऐसे संक्रमणों से केवल मजबूत इम्यून सिस्टम वाले लोग ही निपट सकते हैं।
  • मुख्य रूप से एच.आई.वी. से पीड़ित व्यक्ति के कुछ बॉडी फ्लुइड्स (शारीरिक तरल पदार्थों) के संपर्क में आने से यह वायरस फैलता है। ये बॉडी फ्लुइड्स हैं- रक्त, सीमेन, प्री-सीमेन फ्लुइड, रेक्टल फ्लुइड (मलाशय के तरल पदार्थ) आदि।

स्रोत -द हिन्दू

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