राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) विधिक सेवा ऐप जारी
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) विधिक सेवा ऐप जारी
हाल ही में , भारत के मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority: NALSA) का विजन और मिशन वक्तव्य तथा विधिक सेवा ऐप जारी किया है ।
- जारी किया गया विजन एवं मिशन वक्तव्य ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण’ के दृष्टिकोण को समाहित करता है। इस दृष्टिकोण के अंतर्गत एक समावेशी विधिक प्रणाली को प्रोत्साहन प्रदान करना और हाशिए पर मौजूद तथा वंचित वर्गों के लिए निष्पक्ष एवं सार्थक न्याय सुनिश्चित करना शामिल है ।
- विधिक सेवा मोबाइलएप्लीकेशन में विधिक सहायता की मांग, विधिक परामर्श और अन्य शिकायतोंको दर्ज कराने जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)
- NALSA का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया है। इसका प्रयोजन कमजोर वर्गों को निःशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करना और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान हेतु लोक अदालतों का आयोजन करना है।
- वसरकार द्वारा वर्ष 1976 में 42वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से अनुच्छेद 39A को समाविष्ट कियागया था। यह अधिनियम राज्य को उपयुक्त विधान या योजनाओं द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने हेतु निर्देशित करता है। इसके पश्चात, भारतीय संसद ने वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम1987 पारित किया था।
विधिक सेवाओं तक पहुँच के समक्ष बाधाएं
- औपचारिक न्याय प्रक्रिया विलंबकारी और महंगी है।
- डिजिटल विभाजन और निम्नस्तरीयकनेक्टिविटी के कारण ग्रामीण क्षेत्र, कोरोना महामारी के प्रसारके उपरांत से न्यायालयों की कार्यप्रणाली के आभासी स्वरूप Virtual mode) के साथ सामंजस्य स्थापितनहीं कर पाए।
- संविधान द्वारा प्रदत्त गारंटी के बावजूद पुलिस थानों में प्रभावी विधिक प्रतिनिधित्व की कमी के कारण हिरासत में यातना और पुलिस द्वारा अत्याचार के मामलों में बढ़ोतरी।
- विधिक सेवाओं और कानूनी अभिवेदन के बारे में जागरूकता की कमी।
निःशुल्क विधिक सेवाएं प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्तियों में निम्नलिखितशामिल हैं:
- महिलाएं और बच्चे।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य।
- औद्योगिक कामगार।
- मानव दुर्व्यापार या भिक्षुओं के रूप में तस्करी से पीड़ित लोग।
- सामूहिक आपदा, हिंसा, बाढ़, सूखे आदि से प्रभावित लोग।
- भूकंप, औद्योगिक आपदा आदि से प्रभावित लोग।
- दिव्यांगजन।
- हिरासत में लिए गए व्यक्ति।
- यदि मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है, तो 5 लाख रुपये सेकम वार्षिक आय प्राप्त करने वाला व्यक्ति ।
नोट- वरिष्ठ नागरिकों की निःशुल्क विधिक सहायता की पात्रता इस संदर्भ में संबंधित राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए नियमों पर निर्भर करती है।
स्रोत –द हिन्दू
[catlist]