दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022
हाल ही में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 लोक सभा में पेश किया गया है ।
- इस विधेयक में दिल्ली के तीन नगर निगमों (दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी) का विलय करने का प्रस्ताव किया गया ।
- इस विधेयक में “दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 में वर्ष 2011 में किए गए संशोधन को निष्प्रभावी करने के प्रावधान हैं।
- ज्ञातव्य है कि, वर्ष 2011 के संशोधन के द्वारा दिल्ली नगर निगम को उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी यानी तीन नगर निगमों में विभाजित कर दिया गया था।
इस विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी?
- नागरिक सेवाओं के अधिक कुशल वितरण हेतु इन तीनों नगर निगमों को एकल, एकीकृत और एक सक्षम इकाई में बदलने की आवश्यकता महसूस की गई है।
- इससे संसाधनों का सबसे बेहतर तरीके से उपयोग करने के लिए एक मजबूत तंत्र सुनिश्चित हो सकेगा। इससे पारदर्शिता में वृद्धि होगी और बेहतर गवर्नेस सुनिश्चित होगा। यह तीनों नगर निगमों के दायित्वों को संतुलित कर संसाधनों की कमी को भी पूरा करेगा।
इस विधेयक की मुख्य विशेषताओं पर नज़र:
- एकीकृत नगर निगम में सीटों की अधिकतम संख्या 250 रखने का प्रस्ताव किया गया है।
- स्थानीय निकायों के निदेशक (Director of Local Bodies) के पद से संबंधित प्रावधान को हटाया गया है।
- यह एकीकृत MCD की पहली बैठक होने तक केंद्र को एक विशेष अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति देता है।
- राज्यों में नगर निगमों की स्थापना संबंधित राज्य विधान-मंडलों द्वारा कानून बनाकर की जाती है। हालांकि, केंद्र शासित प्रदेशों में नगर निगमों की स्थापना संसद द्वारा कानून बनाकर की जाती है।
- 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 के द्वारा संविधान में भाग 1X-A जोड़ा गया। इसमें नगर निगम और नगर पालिकाओं के प्रशासन से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।
स्रोत –द हिंदू