बहु–राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022
- हाल ही में केंद्र सरकार ने लोक सभा में बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 प्रस्तुत किया गया है।
- यह विधेयक बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) अधिनियम, 2002 में संशोधन करने के लिए पेश किया गया है।
- यह संशोधन 97वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। 97वें संविधान संशोधन ने संविधान में एक नया भाग IXB जोड़ा था।
- इस विधेयक का उद्देश्य सहकारी समितियों में पारदर्शिता व उत्तरदायित्व को बढ़ाना, ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करना और बेहतर वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित करना है।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
- पंजीकरण बहु-राज्य सहकारी समिति के पंजीकरण के लिए आवेदन की अवधि को 4 माह से घटाकर 3 माह कर दिया गया है।
- निदेशक बोर्ड एक बोर्ड में अधिकतम 21 निदेशक हो सकते हैं। इनमें कम से कम एक निदेशक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का और दो निदेशक महिलाएं होनी चाहिए ।
चुनाव संबंधी सुधारः सहकारी क्षेत्रक में चुनाव संबंधी सुधार के लिए सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी।
- इस प्राधिकरण में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकतम 3 सदस्य शामिल होंगे ।
- शिकायतों का निवारण सदस्यों की शिकायतों की जांच के लिए केंद्र सरकार एक या एक से अधिक सहकारी लोकपाल नियुक्त करेगी ।
- रुग्ण (sick) सहकारिताओं के लिए निधिः रुग्ण MSCS के पुनरुद्धार के लिए सहकारी पुनर्सुधार, पुनर्निर्माण और विकास निधि की स्थापना की जाएगी।
अन्य प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- सहकारी समिति के अधिकारियों या सदस्यों द्वारा संबंधित उपबंधों के उल्लंघन पर आर्थिक दंड में वृद्धि की गई है;
- सभी बहु-राज्य सहकारी समितियों को सहकारी सूचना अधिकारी नियुक्त करना होगा;
- केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित राशि से अधिक का वार्षिक टर्नओवर करने वाली या जमा राशि वाली बहु-राज्य सहकारी समिति का समवर्ती ऑडिट किया जाएगा।
संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान (97वाँ संशोधन) अधिनियम, 2011 द्वारा भारत में काम कर रही सहकारी समितियों के संबंध में भाग IXA (नगरपालिका) के ठीक बाद एक नया भाग IXB जोड़ा गया।
- संविधान के भाग III के अंतर्गत अनुच्छेद 19(1)(c) में “संघ और संगठन” के बाद “सहकारिता” शब्द जोड़ा गया था।
- यह सहकारी समितियाँ बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का दर्जा प्रदान करता है।
- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों (Directive Principles of State Policy- भाग IV) में “सहकारी समितियों के प्रचार” के संबंध में एक नया अनुच्छेद 43B जोड़ा गया था।
बहु–राज्य सहकारी समितियां
- बहु-राज्य सहकारी समितियां ऐसी सहकारी समितियां होती हैं, जिनकी गतिविधियां केवल एक राज्य तक ही सीमित नहीं होती हैं। ये एक से अधिक राज्यों में व्यक्तियों के हितों की पूर्ति करती हैं।
- भारत में 1,500 से अधिक बहु- राज्य सहकारी समितियां हैं ।
स्रोत – द हिन्दू