धन शोधन के अपराध की अवधारणा बहुत व्यापक : SC
उच्चतम न्यायालय के अनुसार धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention Of Money Laundering Act: PMLA) के तहत धन शोधन के अपराध की अवधारणा बहुत व्यापक है ।
न्यायालय के अनुसार, अपराध से अर्जित आय से जुड़ी कोई भी गतिविधि, PMLA की धारा 3 के तहत अपराध मानी जाएगी। इसमें ऐसी आय का उपयोग, उसे छुपाना या धारण करना अपराध माना गया है।
न्यायालय में दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि इस कानून की धारा 3 को भिन्न अर्थ में पढ़ा जाना चाहिए। इसके अंतर्गत केवल अपराध से अर्जित आय का उपयोग और धारण करना, धन शोधन के समान नहीं माना जाना चाहिए।
अधिनियम की धारा 3 के अनुसार कोई व्यक्ति अपराध से प्राप्त आय से संबधित किसी गतिविधि में (जिसके अंतर्गत उसका छिपाया जाना, कब्जा रखना, अर्जन या उपयोग भी शामिल है) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होगा तथा निष्कलंक संपत्ति के रूप में उसे प्रस्तुत करेगा वह धन-शोधन के अपराध का दोषी होगा।
अवैध तरीके से अर्जित आय का संग्रह
- नियोजन/प्रवेश : गलत तरीके से अर्जित आय का वित्तीय प्रणाली में शामिल होना
2.नियोजन/प्रवेश : विदेशों में और देश के भीतर स्थित बैंकों के बीच धन का आदान-प्रदान
- एकीकरण: विलासितापूर्ण संपत्तियों की खरीद, वित्तीय निवेश, वाणिज्यिक/ औद्योगिक निवेश
यह कानून, अधिकारियों को गैर-कानूनी आय से प्राप्त संपत्ति को जब्त करने में सक्षम बनाता है।
वित्त मंत्रालय के अंतर्गत प्रवर्तन निदेशालय, इस अधिनियम के तहत धन शोधन से जुड़े अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार निकाय है। धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिग) अवैध रूप से अर्जित आय को वैध बनाने की प्रक्रिया है।
स्रोत –द हिन्दू