जेलों का आधुनिकीकरण परियोजना के कार्यान्वयन हेतु दिशा –निर्देश
गृह मंत्रालय ने जेलों का आधुनिकीकरण परियोजना के कार्यान्वयन के लिए दिशा -निर्देश जारी किये हैं ।
दिशा–निर्देशों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- गृह मंत्रालय, राज्यों को 5 वर्ष की अवधि (वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26) के लिए सहायता अनुदान प्रदान करेगा।
- यह अनुदान विचाराधीन कैदियों की संख्या, जेल स्टाफ आदि के आधार पर दिया जायेगा।
- इस परियोजना में केंद्रीय कारागार, जिला कारागार, महिला जेल, खुली जेल आदि सहित सभी जेलें शामिल होंगी।
- मुख्य घटकों में वीडियो कॉन्फ्रेंस अवसंरचना, शरीर पर धारण किये जाने वाले कैमरे, डोर फ्रेम, मेटल डिटेक्टर आदि शामिल हैं।
जेलों का आधुनिकीकरण परियोजना के प्रमुख उद्देश्य
- जेलों की सुरक्षा अवसंरचना में मौजूदा कमियों को दूर करना।
- आधुनिक समय की तकनीकों के अनुरूप जेलों को नए सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना।
- ‘सुधारात्मक प्रशासन’ पर ध्यान देना। इसमें व्यापक प्रशिक्षण के माध्यम से जेल अधिकारियों की मानसिकता में बदलाव लाकर व्यवहार संबंधी परिवर्तन लाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, कैदियों के लिए उपयुक्त कार्यक्रम शुरू करना भी सम्मिलित है।
जेल सुधारों का महत्वः
- जेल और उनका प्रशासन, सातवीं अनुसूची में राज्य सूची के विषय हैं। ये देश की आपराधिक न्याय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा हैं।
- जेल अपराधियों को समाज से दूर हिरासत में रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- जेल सुधार अपराधी के सुधार और समाज के साथ पुनः एकीकरण की प्रक्रिया में सहायता करते हैं।
केंद्र सरकार द्वारा किये गए अन्य उपायः
- ई–जेल परियोजनाः इसका उद्देश्य डिजिटलीकरण के माध्यम से जेल प्रबंधन में दक्षता लाना है।
- सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उनके मार्गदर्शन के लिए मॉडल जेल मैनुअल 2016 वितरित किये गए हैं।
जेलों की मौजूदा समस्याएं
- अत्यधिक भीड़: वर्ष 2019 में जेलों में उनकी क्षमता की तुलना में 5% अधिक कैदी थे।
- कैदियों द्वारा अनुशासनहीनता, आक्रामकता और हिंसा बड़ी समस्या रही है।
- आधुनिक सुरक्षा प्रणाली आदि का अभाव है।
स्रोत –द हिन्दू
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